बिहार मतदाता सूची विवाद पर संसद में हंगामा, प्रियंका गांधी ने यूरिया की मांग पर किया प्रदर्शन
नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र मंगलवार को भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण और मतदाता चोरी के आरोपों को लेकर विपक्ष ने राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया। कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों ने नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। नतीजतन राज्यसभा की कार्यवाही बमुश्किल पाँच मिनट चल पाई और उपसभापति ने इसे दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया। इसी तरह लोकसभा में भी भारी हंगामे के कारण स्पीकर ओम बिरला को प्रश्नकाल रोककर कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
बिहार मतदाता सूची विवाद से गर्माई राजनीति
राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां की गई हैं। उन्होंने कहा कि मतदाताओं के नाम काटने और नकली वोट डालने जैसे गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं। इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए विपक्षी सांसद लगातार नारेबाजी करते रहे। सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर संसद का समय बर्बाद करने का आरोप लगाया, लेकिन हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हो गई।

लोकसभा में भी विपक्ष का हंगामा
लोकसभा में जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी करते हुए मतदाता सूची और किसानों से जुड़े मुद्दों को उठाया। स्पीकर ओम बिरला ने प्रश्नकाल चलाने की कोशिश की। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुछ सवालों के जवाब भी दिए, लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा करता रहा। इसके चलते अंततः कार्यवाही को 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
किसानों के लिए यूरिया की मांग पर प्रदर्शन
सदन के बाहर भी विपक्ष का विरोध जारी रहा। तेलंगाना कांग्रेस के नेताओं ने राज्य में यूरिया की बढ़ती मांग को लेकर कृषि भवन के बाहर धरना दिया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल हुईं। उन्होंने किसानों की समस्याओं को तत्काल सुलझाने और उर्वरक की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग की।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह का जवाब – “खेत-खलिहान से चलेगी सरकार”
संसद में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित कृषि संकल्प अभियान पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पहली बार प्रयोगशाला के शोध को खेतों तक पहुँचाने का निर्णय लिया है। कृषि वैज्ञानिक अब केवल लैब में सीमित नहीं रहेंगे बल्कि किसानों के बीच जाकर सीधे काम करेंगे।
चौहान ने बताया कि अब तक 500 से अधिक विषय सामने आए हैं जिन पर शोध की जरूरत है, जबकि किसानों ने खुद 300 से ज्यादा नवाचार किए हैं। उन्होंने घोषणा की कि 3 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक विकसित कृषि अभियान का अगला चरण चलेगा और सरकार किसानों से सीधे संवाद करेगी।
उन्होंने कहा – “अब यह सरकार कृषि भवन से नहीं बल्कि खेत-खलिहान से चलेगी।”

अखिलेश यादव का बयान – “हमें प्रगति चाहिए, आरोप-प्रत्यारोप नहीं”
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने सदन में कहा कि भारत सरकार बिजली उत्पादन और विकास कार्यों पर बड़े पैमाने पर खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि अतीत की गलतियों पर बार-बार चर्चा करने के बजाय आगे की दिशा में काम होना चाहिए।
अखिलेश ने कहा – “जब आप इतिहास के पन्ने पलटते हैं तो अच्छी और बुरी दोनों बातें सामने आती हैं। हर किसी के इतिहास में कमियां होती हैं। हमें अब प्रगति चाहिए, आरोप-प्रत्यारोप नहीं।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या वाकई परियोजनाओं पर खर्च हो रहा पैसा सही दिशा में उपयोग हो रहा है या नहीं, क्योंकि वास्तविकता जनता भलीभांति समझती है।

राजनीतिक टकराव और किसानों की चिंता
एक ओर संसद के भीतर बिहार मतदाता सूची को लेकर राजनीति गर्म रही, तो दूसरी ओर किसानों की समस्याओं को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की कोशिश की। प्रियंका गांधी का आंदोलन में शामिल होना इस मुद्दे को और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बना गया।
सत्र के इस दौर में स्पष्ट है कि विपक्ष कृषि और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से जुड़े सवालों को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है, जबकि सरकार विकास योजनाओं और शोध-नवाचारों की उपलब्धियों को सामने रखकर जवाब देने की कोशिश कर रही है।
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