बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण: सर्वोच्च न्यायालय का बड़ा आदेश, विधिक सहयोगी करेंगे मदद
- सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी किया
नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान अब मतदाताओं को विधिक सहयोगियों की मदद मिलेगी। सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को यह आदेश जारी करते हुए कहा कि विधिक सहयोगी मतदाताओं को ड्राफ्ट मतदाता सूची पर दावा और आपत्ति दर्ज करने में सहयोग करेंगे।
सुनवाई के दौरान निर्वाचन आयोग ने अदालत को बताया कि ड्राफ्ट सूची पर दावे और आपत्तियां कभी भी दाखिल की जा सकती हैं और इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि यह पूरा मामला भरोसे की कमी से जुड़ा है।
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राजद और एआईएमआईएम की याचिका पर सुनवाई
राजद और एआईएमआईएम ने याचिका दायर कर बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए दावा और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने 22 अगस्त को यह स्पष्ट किया था कि पुनरीक्षण के बाद जिनका नाम वोटर लिस्ट से छूट गया है, वे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए फिजिकल रूप से फॉर्म भरना जरूरी नहीं है।
न्यायालय ने यह भी कहा था कि निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त 11 दस्तावेजों में से कोई भी एक दस्तावेज, यहां तक कि केवल आधार कार्ड, वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए पर्याप्त है।
राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी तय
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में बिहार के 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे अपने बूथ स्तरीय एजेंटों को सक्रिय करें और उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपें कि वे संबंधित बूथ पर लोगों को मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाने में सहायता करें।
साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वे सभी मान्यता प्राप्त दल, जिन्होंने अभी तक याचिका दायर नहीं की है, उन्हें भी इस प्रक्रिया में पक्षकार बनाया जाएगा ताकि मतदाताओं को अधिकतम सहयोग मिल सके।
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