- जनसभा अभियान को लेकर भाजपा ने तैयार किया पूरा खाका, अमित शाह और अन्य शीर्ष नेताओं की भी होगी सक्रिय भागीदारी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी अब अपने चरम पर है। प्रदेश की राजनीतिक फिज़ा पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुकी है। सभी दल मतदाताओं को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटे हैं। सत्तारूढ़ एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) ने अपने प्रचार अभियान को नई धार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दस बड़ी जनसभाओं का कार्यक्रम तय किया है। इन जनसभाओं की शुरुआत 24 अक्टूबर से होगी, जिसके साथ ही बिहार में भाजपा का चुनावी शंखनाद भी गूंज उठेगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अक्टूबर को बिहार के समस्तीपुर से अपने प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। उसी दिन वे बेगूसराय में भी एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री की रैलियों के लिए 10 स्थानों की पहचान कर ली गई है और पूरा कार्यक्रम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भेज दिया गया है। सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर विस्तृत तैयारियां की जा रही हैं।
अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी भी करेंगे रैलियां
भाजपा ने इस चुनाव को लेकर अपने शीर्ष नेतृत्व को मैदान में उतार दिया है। पार्टी की रणनीति है कि मोदी के साथ-साथ गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अन्य वरिष्ठ नेता भी लगातार जनसभाएं कर जनता के बीच माहौल बनाएं।
जानकारी के अनुसार, अमित शाह लगभग 25 जनसभाएं करेंगे, जबकि राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी भी करीब इतनी ही रैलियों को संबोधित करेंगे। भाजपा का यह प्रचार अभियान बिहार के हर क्षेत्र — उत्तर से लेकर दक्षिण और सीमांचल से लेकर मगध तक — में प्रभाव डालने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
छठ पर्व के प्रति संवेदनशीलता दिखाना चाहते हैं प्रधानमंत्री
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का यह चुनावी दौरा बिहार के लोगों की भावनाओं और परंपराओं के अनुरूप तैयार किया गया है। चूंकि 29 अक्टूबर के आसपास छठ पर्व का समय रहेगा, इसलिए प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित किया है कि इस दौरान उनकी कोई जनसभा न हो, ताकि छठ मनाने वाले आम लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
जायसवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद इस बात के इच्छुक थे कि वे छठ के अवसर पर भी बिहार आएं, लेकिन उन्होंने स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर आम जनता की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए कार्यक्रम स्थगित करने का निर्णय लिया।
चुनावी रणनीति में मोदी की भूमिका अहम
भाजपा के अंदर यह माना जा रहा है कि बिहार में मोदी की लोकप्रियता चुनावी सफलता की कुंजी है। पार्टी की योजना है कि प्रधानमंत्री के भाषणों से ग्रामीण और शहरी दोनों मतदाताओं तक विकास और स्थिर सरकार का संदेश पहुंचे। मोदी की जनसभाएं न केवल संगठन के लिए ऊर्जा का स्रोत बनेंगी, बल्कि मतदाताओं में जोश भी भरेंगी।
जानकारों के मुताबिक, एनडीए की रणनीति यह है कि मोदी के भाषणों में केंद्र सरकार की उपलब्धियों के साथ-साथ राज्य में एनडीए की एकजुटता का संदेश प्रमुखता से दिया जाएगा। विशेष रूप से गरीब कल्याण, रोजगार, सड़क और स्वास्थ्य जैसी योजनाओं पर जोर दिया जाएगा।
विपक्ष पर भी साधेंगे निशाना
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में विपक्ष पर भी तीखा प्रहार करेंगे। वे राज्य में पिछली सरकारों के कार्यकाल की याद दिलाते हुए जनता को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि बिहार में स्थिर और विकासोन्मुख सरकार की जरूरत क्यों है। भाजपा की रणनीति यह है कि हर रैली का केंद्रबिंदु विकास और सुशासन का संदेश हो, ताकि जनता को एनडीए के पक्ष में एकजुट किया जा सके।
भाजपा की तैयारियां युद्धस्तर पर
प्रदेश भाजपा कार्यालय में बीते कुछ दिनों से प्रचार प्रबंधन को लेकर लगातार बैठकें चल रही हैं। प्रत्येक जनसभा के लिए अलग-अलग समितियाँ बनाई गई हैं। मंच प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, स्थानीय प्रचार सामग्री और मीडिया कवरेज की जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं को सौंप दी गई है। पार्टी के आईटी सेल और सोशल मीडिया विंग को भी सक्रिय कर दिया गया है, जो प्रत्येक जनसभा का सीधा प्रसारण करेंगे।
भाजपा ने यह तय किया है कि प्रत्येक रैली में स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जाएगा, ताकि लोगों को यह लगे कि प्रधानमंत्री उनकी बात सुन रहे हैं। वहीं युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए रोजगार, शिक्षा और स्टार्टअप से जुड़ी योजनाओं की चर्चा की जाएगी।
राजनीतिक माहौल गरमाया, एनडीए में आत्मविश्वास
इन तैयारियों के बीच बिहार की सियासत अब पूरी तरह चुनावी मोड में है। एनडीए के नेताओं का दावा है कि उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। वहीं विपक्षी गठबंधन भी जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश में है। लेकिन भाजपा के प्रचार अभियान की आक्रामक रणनीति को देखते हुए मुकाबला दिलचस्प होने वाला है।
भाजपा का विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों के बाद चुनावी माहौल पूरी तरह एनडीए के पक्ष में झुकेगा। मोदी की करिश्माई छवि, भाजपा संगठन की मजबूती और एनडीए के सहयोगी दलों का तालमेल — यह तीनों मिलकर राज्य में पार्टी की स्थिति को मजबूत बना सकते हैं।