बिहार चुनाव: पहले चरण के प्रचार का आज होगा समापन, नेताओं ने झोंकी पूरी ताकत
पटना, 4 नवंबर (हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले आज शाम प्रचार अभियान थम जाएगा। सभी दलों के नेता अंतिम समय तक मतदाताओं को लुभाने के लिए मैदान में जुटे हुए हैं। 4 नवंबर की शाम 5 बजे के बाद प्रचार का शोर थम जाएगा और इसके साथ ही बिहार का चुनावी रण पहले चरण की वोटिंग के लिए तैयार हो जाएगा।
पहले चरण के अंतर्गत पटना, भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, सीवान, सारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा, समस्तीपुर, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, बेगूसराय, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा और नालंदा जिलों की विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। इन 18 जिलों की 71 सीटों पर राजनीतिक दलों के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है।
चुनावी रण में उतरे बड़े चेहरे
बिहार में इस बार प्रचार अभियान में देश के तमाम बड़े नेता मैदान में उतरे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने एक के बाद एक सभाओं के माध्यम से एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कई जिलों में जनसभाएं कीं और एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में अपील की।
दूसरी ओर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की ओर से जनता के बीच चुनावी मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। रोजगार, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे विषयों पर विपक्ष ने एनडीए पर सीधा निशाना साधा, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन ने विकास, सुशासन और कानून व्यवस्था को अपनी उपलब्धि बताया।
/swadeshjyoti/media/post_attachments/wp-content/uploads/2025/11/image-125.png)
2020 के मुकाबले 2025 का समीकरण अलग
पटना जिले की 14 सीटों में पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में एनडीए ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि महागठबंधन को 5 सीटें मिली थीं। इस बार समीकरण कुछ बदले हुए नजर आ रहे हैं। ब्रिकम विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस के पूर्व नेता सिद्धार्थ गौतम भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं। इस कदम से भाजपा को स्थानीय स्तर पर अतिरिक्त मजबूती मिलती दिख रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार पहले चरण में एनडीए की स्थिति मजबूत है। महिला मतदाता, जिनकी संख्या लगभग 48 प्रतिशत है, को नीतीश कुमार का “साइलेंट सपोर्ट बेस” माना जा रहा है। उनकी सरकार की “मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना” और महिलाओं को दी गई ₹10,000 की आर्थिक सहायता जैसी योजनाएं ग्रामीण इलाकों में असर दिखा रही हैं।
गठबंधन की मजबूती और विपक्ष की चुनौती
एनडीए गठबंधन में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के शामिल होने से गठबंधन को सामाजिक और जातीय समीकरण के लिहाज से मजबूती मिली है। वहीं महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के साथ वामदलों की मौजूदगी विपक्ष को जमीनी स्तर पर संगठनात्मक सहारा दे रही है।
राजनीतिक विश्लेषक गौतम चौधरी का कहना है कि पहले चरण में एनडीए की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत दिखाई दे रही है, लेकिन असली चुनौती दूसरे चरण में मिलेगी, जहां भोजपुरी क्षेत्र में जन सुराज पार्टी और तेजस्वी यादव का प्रभाव ज्यादा है।
महिला वोट और नीतीश फैक्टर बना निर्णायक
पहले चरण में महिलाओं की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। बिहार में महिला मतदाता विकास और सुरक्षा के मुद्दों पर वोट करने की प्रवृत्ति रखती हैं। नीतीश कुमार के शासनकाल में महिलाओं को शराबबंदी, साइकिल योजना और आरक्षण जैसे लाभकारी कदमों का सीधा फायदा मिला है। यही कारण है कि राजनीतिक विश्लेषक इसे “नीतीश फैक्टर” कह रहे हैं, जो पहले चरण में एनडीए को बढ़त दिला सकता है।
मतदाताओं की नजर विकास और विश्वसनीयता पर
ग्रामीण और शहरी दोनों ही इलाकों में मतदाता अब वादों से ज्यादा कामकाज को महत्व दे रहे हैं। मतदाताओं का कहना है कि बिजली, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार और उद्योग अब भी सबसे बड़ी चुनौती है। एनडीए इस बार “विकसित बिहार” का नारा दे रहा है, जबकि महागठबंधन बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है।
4 नवंबर की शाम के बाद प्रचार का शोर थम जाएगा, लेकिन बिहार की राजनीति में हलचल तेज बनी रहेगी। अब सभी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि पहले चरण का मतदान किस दिशा में हवा का रुख तय करेगा।
✨ स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071157234z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-56.png)
/swadeshjyoti/media/agency_attachments/2025/11/09/2025-11-09t071151025z-logo-640-swadesh-jyoti-1-2025-11-09-12-41-50.png)
/swadeshjyoti/media/post_attachments/wp-content/uploads/2025/11/image-126.png)