बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा आज शाम, दो चरणों में होंगे मतदान: मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दी जानकारी
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का आज औपचारिक ऐलान हो सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को संकेत दिए थे कि आयोग सोमवार शाम 4 बजे प्रेस वार्ता में कार्यक्रम घोषित करेगा। सूत्रों के अनुसार, आयोग इस बार दो चरणों में चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार कर चुका है। पहले चरण का मतदान छठ पर्व (27–28 अक्टूबर) के बाद कराने की योजना है ताकि बाहर काम करने वाले प्रवासी बिहारी मतदाता समय पर लौटकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
चुनाव की घोषणा से पहले आयोग की तीन सदस्यीय टीम बिहार के दो दिवसीय दौरे से रविवार को दिल्ली लौट आई। इस दौरान चुनावी तैयारियों, सुरक्षा व्यवस्था और मतदाता सूची की समीक्षा की गई।
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दो चरणों में चुनाव की रणनीति: मतदाता भागीदारी बढ़ाने पर फोकस
निर्वाचन आयोग इस बार बिहार में तीन की बजाय दो चरणों में मतदान कराने की योजना पर काम कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि पहले चरण में उत्तर और मध्य बिहार के जिले, जबकि दूसरे चरण में दक्षिणी व सीमांचल क्षेत्र शामिल किए जा सकते हैं।
छठ पर्व के बाद पहले चरण के आयोजन से आयोग का लक्ष्य मतदाता भागीदारी बढ़ाना है, क्योंकि इस समय प्रवासी श्रमिक बड़ी संख्या में अपने घरों में मौजूद रहते हैं।
बिहार में वर्तमान में 7.42 करोड़ मतदाता हैं, जो देश के सबसे बड़े मतदाता समूहों में से एक हैं। आयोग का उद्देश्य इस बार अब तक का सबसे पारदर्शी और तकनीकी रूप से सुदृढ़ चुनाव आयोजित करना है।
मुख्य चुनाव आयुक्त का बयान: “17 नई पहलें लागू होंगी”
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में आयोग 17 नई पहलें लागू करने जा रहा है। इन पहलाओं का उद्देश्य मतदाता सुविधा बढ़ाना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को तेज बनाना है।
उन्होंने बताया —
- 100 प्रतिशत मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग सुविधा लागू की जाएगी।
- नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की गई है ताकि पंजीकृत मतदाता को 15 दिनों के भीतर पहचान पत्र मिल सके।
- मोबाइल फोन रखने के लिए मतदान केंद्रों पर सुरक्षित जमा सुविधा दी जाएगी।
- एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) के माध्यम से राज्य की मतदाता सूची को 22 वर्षों बाद शुद्ध किया गया है।
कुमार ने कहा कि “बिहार इस बार एक उदाहरण बनेगा, जिसकी चुनावी प्रक्रियाओं को आगे चलकर अन्य राज्यों में भी अपनाया जाएगा।”
आयोग ने किया एसआईआर का बचाव, कहा—कानूनी और अनिवार्य प्रक्रिया
एसआईआर यानी Special Intensive Revision को लेकर उठ रहे सवालों पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कानूनी और आवश्यक है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि “अगर किसी को मतदाता सूची में नाम जोड़े या हटाने को लेकर शिकायत है, तो वह जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकता है। नामांकन से 10 दिन पहले तक नामों में संशोधन किया जा सकता है।”
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया से न केवल फर्जी नाम हटाए गए हैं, बल्कि लंबे समय से एक ही पते पर दोहरी प्रविष्टियों को भी समाप्त किया गया है।
6 राज्यों की 19 दवा निर्माण इकाइयों की तर्ज पर व्यापक निगरानी तंत्र
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरह, चुनाव आयोग ने भी जोखिम आधारित निगरानी (Risk-based inspection) का मॉडल अपनाया है। इससे बूथों की सुरक्षा, मतदान कर्मियों की तैनाती और तकनीकी प्रणालियों की गुणवत्ता पर लगातार नजर रखी जाएगी।
आयोग का कहना है कि बिहार में पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी विस्तार और डिजिटल साधनों के उपयोग से चुनावी पारदर्शिता बढ़ी है और अब इसे अगले स्तर तक ले जाया जाएगा।
बिहार विधानसभा की वर्तमान स्थिति
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में इस समय राजनीतिक समीकरण इस प्रकार हैं —
- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): 84
- जनता दल (यूनाइटेड): 48
- हम (सेक्युलर): 4
- राजद: 71
- कांग्रेस: 17
- स्वतंत्र और अन्य: 19
राज्य में राजग (NDA) और इंडी गठबंधन (I.N.D.I.) के बीच राजनीतिक मुकाबला दिलचस्प रहने वाला है।
तेजस्वी यादव ने गठबंधन नेताओं के साथ की बैठक
इसी बीच, तेजस्वी यादव ने रविवार को पटना स्थित अपने आवास पर इंडी गठबंधन की समन्वय समिति की बैठक बुलाई। बैठक में सीट बंटवारे और साझा प्रचार रणनीति पर चर्चा हुई।
इसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और अन्य घटक दलों के नेता मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार, सीट वितरण को लेकर अब भी मतभेद हैं, लेकिन सभी दल जल्द सहमति बनाने की कोशिश में हैं।
राजग में भी असंतोष: मांझी और चिराग के बीच सीटों को लेकर खींचतान
दूसरी ओर, राजग गठबंधन में भी दलित बहुल सीटों को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं।
हम (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने 40 सीटों की मांग रखी है, ताकि उनकी पार्टी मान्यता प्राप्त दल बन सके। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान भी दलित बहुल क्षेत्रों में अधिक सीटें चाह रहे हैं।
भाजपा और जदयू को दोनों दलों के बीच समन्वय स्थापित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, भाजपा उपेंद्र कुशवाहा को संतुष्ट करने में सफल होती दिख रही है, क्योंकि वे सीटों को लेकर उतनी कठोर मांग नहीं रख रहे हैं।
नई दिशा में बिहार चुनाव
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव न केवल राजनीतिक दलों की परीक्षा है, बल्कि यह चुनाव आयोग की नई डिजिटल और पारदर्शी चुनाव प्रणाली का भी परीक्षण होगा। 22 वर्षों बाद मतदाता सूची का शुद्धिकरण, 100% वेबकास्टिंग, और पारदर्शी प्रक्रियाओं की शुरुआत से यह चुनाव भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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