October 15, 2025 3:04 AM

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नीतीश कुमार की नाराज़गी से बदल सकता है राजग का सीट बंटवारा फार्मूला

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जदयू की कई पारंपरिक सीटें लोजपा-आर और भाजपा को मिलने पर बढ़ा विवाद, अमित शाह के पटना दौरे की चर्चा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नीतीश कुमार की नाराज़गी से बदल सकता है राजग का सीट बंटवारा फॉर्मूला

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव-2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीट बंटवारे को लेकर बड़ा राजनीतिक घमासान मच गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू की पारंपरिक सीटों को भाजपा और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) (लोजपा-आर) को दिए जाने पर कड़ी नाराज़गी जताई है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार के असंतोष के बाद भाजपा नेतृत्व ने इस मुद्दे पर पुनर्विचार के संकेत दिए हैं और सीट शेयरिंग फॉर्मूले में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है।

⚖️ नीतीश कुमार की आपत्ति: “जदयू की सीटें वापस मिलनी चाहिए”

पार्टी सूत्रों के अनुसार, राजगीर, मोरवा और सोनबरसा जैसी कई सीटें लोजपा-आर को दी गई हैं, जिन पर पहले जदयू का कब्जा था। इन सीटों को लेकर नीतीश कुमार बेहद नाराज़ बताए जा रहे हैं। विशेष रूप से सोनबरसा सीट, जहां से जदयू के मंत्री रत्नेश सदा विधायक हैं, विवाद का केंद्र बन गई है। खबर आई थी कि यह सीट लोजपा-आर के खाते में चली गई है, लेकिन नीतीश कुमार ने इसे खारिज करते हुए रत्नेश सदा को पुनः पार्टी का सिंबल जारी कर दिया।

इसी प्रकार तारापुर विधानसभा सीट — जो पहले जदयू के पास थी — अब भाजपा के खाते में चली गई है। इस पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव लड़ना चाहते हैं। यह मामला भी नीतीश कुमार की नाराज़गी का एक अहम कारण बना हुआ है।

🏛️ मुख्यमंत्री आवास से लेकर भाजपा कार्यालय तक चलीं लगातार बैठकें

सोमवार और मंगलवार दोनों दिन पटना में राजनीतिक बैठकों का दौर जारी रहा। मुख्यमंत्री आवास, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के आवास और जदयू कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के घर पर लगातार रणनीतिक चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार ने अपने विश्वस्त नेताओं संजय झा और ललन सिंह को भाजपा नेतृत्व से पुनः बातचीत करने का निर्देश दिया है।

नीतीश कुमार ने पहले चरण के उम्मीदवारों की सूची भी लगभग तय कर दी है और कई प्रत्याशियों को पार्टी सिंबल जारी कर दिए हैं। इनमें विजेंद्र यादव (सुपौल), उमेश कुशवाहा (महनार) और अनंत सिंह (मोकामा) जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।

🗳️ राजग का घोषित सीट बंटवारा और अंदरूनी असंतोष

राजग की ओर से पहले घोषित फॉर्मूले के अनुसार —

  • भाजपा और जदयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे,
  • लोजपा-आर को 29 सीटें,
  • जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) और
  • उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को 6-6 सीटें दी गई हैं।

हालांकि, सीटों की घोषणा के तुरंत बाद राजग के भीतर असंतोष के स्वर उठने लगे। जीतन राम मांझी ने कहा कि “हमें केवल छह सीटें देकर कमतर आंका गया है। इसका नुकसान गठबंधन को हो सकता है।” वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “प्रिय सहयोगियों, मैं समझता हूं कि मिली सीटें आपकी अपेक्षाओं से कम हैं। इस निर्णय से कई साथी आहत हैं, लेकिन कृपया संयम रखें।”

🔥 अंदरूनी मतभेदों से बढ़ी सियासी हलचल

नीतीश कुमार की नाराज़गी के बाद भाजपा खेमे में भी हलचल मच गई है। चर्चा है कि पार्टी उच्च नेतृत्व नीतीश को मनाने के लिए जल्द ही पहल करेगा। सूत्रों ने संकेत दिया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्वयं पटना आ सकते हैं, ताकि स्थिति को सामान्य किया जा सके। भाजपा नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार जैसे वरिष्ठ सहयोगी को साथ रखे बिना चुनावी रणनीति सफल नहीं हो सकती।

🗣️ नेताओं के बयान: ‘सब कुछ सौहार्दपूर्ण माहौल में सुलझ जाएगा’

उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि “राजग में सीट बंटवारे पर बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में पूरी हो चुकी है। सभी दल एकजुट हैं और मोदी-नीतीश के नेतृत्व में चुनावी तैयारी पूरी है।”
वहीं जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा कि “विपक्ष भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है। नीतीश कुमार पूरी तरह सक्रिय हैं और राजग की जीत सुनिश्चित करेंगे।”

🧩 राजनीतिक समीकरण और भविष्य की रणनीति

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार की नाराज़गी केवल कुछ सीटों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजग के भीतर शक्ति संतुलन का संकेत भी है। पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार का राजनीतिक रुख कई बार बदला है, और भाजपा इस बार किसी भी तरह की असहजता से बचना चाहती है।

यदि जदयू को उसकी पारंपरिक सीटें नहीं मिलतीं, तो गठबंधन की चुनावी एकजुटता पर असर पड़ सकता है। वहीं भाजपा के लिए भी यह चुनौती होगी कि वह अपने सहयोगी दलों के असंतोष को शांत रखे।

📊 गठबंधन की मजबूती पर सवाल

राजग की घोषित सीट शेयरिंग भले ही संख्यात्मक रूप से संतुलित लगे, पर अंदरूनी नाराज़गी गठबंधन की एकता को कमजोर कर सकती है। मांझी, कुशवाहा और अब नीतीश की आपत्तियों से यह स्पष्ट हो गया है कि सीटों का गणित अभी अंतिम नहीं है। जानकारों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों में कुछ सीटों का फेरबदल तय है।

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