बिहार चुनाव 2025: नीतीश कुमार और अमित शाह की अहम बैठक, राजग सीट बंटवारे पर मंथन तेज

पटना में गुरुवार, 18 सितंबर को बिहार की राजनीति का सबसे चर्चित घटनाक्रम सामने आया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने होटल मौर्या में बंद कमरे में लगभग आधे घंटे तक मुलाकात की। इस मुलाकात ने न केवल बिहार की सियासत में हलचल तेज कर दी है बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की रणनीति को भी और स्पष्ट कर दिया है।


बैठक में शामिल रहे गठबंधन के दिग्गज नेता

इस बंद कमरे की बैठक में नीतीश कुमार और अमित शाह के अलावा उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार, बैठक में मुख्य रूप से सीट बंटवारे और चुनावी तैयारी पर चर्चा हुई।

बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह अपने तय कार्यक्रम के अनुसार रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन रवाना हो गए, जहां उनके साथ दोनों उपमुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मौजूद रहे। शाह जल्द ही शाहाबाद प्रक्षेत्र और मगध के कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे।

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सीट बंटवारे पर जारी है खींचतान

बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजग (NDA) में शामिल दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मंथन तेज हो गया है।

  • जदयू और भाजपा गठबंधन के बड़े स्तंभ हैं, इसलिए दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा सबसे अहम माना जा रहा है।
  • हम (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) प्रमुख जीतन राम मांझी लगभग 15-20 सीटों की मांग कर रहे हैं।
  • लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान भी जदयू की पारंपरिक मजबूत सीटों पर दावा ठोक रहे हैं।
  • वहीं राष्ट्रीय लोक मोर्चा भी अपनी हिस्सेदारी तय कराने के लिए सक्रिय है।

इन मांगों के चलते कई सीटों पर सहमति बनाना अब तक चुनौती बना हुआ है।


भाजपा नेतृत्व का सक्रिय हस्तक्षेप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के हालिया बिहार दौरे के बाद अमित शाह का यह पटना दौरा बेहद रणनीतिक माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेतृत्व चाहता है कि सीट बंटवारे का फॉर्मूला जल्द तय कर लिया जाए ताकि चुनावी तैयारियों पर पूरी ऊर्जा लगाई जा सके।

अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं ने उन विवादित सीटों पर चर्चा की, जहां अब तक किसी भी दल ने पीछे हटने की सहमति नहीं जताई है।


नीतीश कुमार की रणनीतिक भूमिका

नीतीश कुमार इस समय राजग में सबसे अनुभवी नेता माने जा रहे हैं। उनके पास न केवल लंबे राजनीतिक अनुभव का आधार है बल्कि बिहार की सामाजिक समीकरणों को साधने की क्षमता भी है। यही कारण है कि सीट बंटवारे पर अंतिम निर्णय में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

जदयू सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार गठबंधन के छोटे दलों जैसे हम और लोजपा (रामविलास) को भी सम्मानजनक सीटें दिलाने के पक्षधर हैं ताकि राजग के भीतर कोई असंतोष न रहे।


विपक्ष की नजर इस बैठक पर

राजग की इस गुप्त बैठक पर विपक्षी महागठबंधन (जिसमें राजद और कांग्रेस शामिल हैं) ने भी तीखी नजर रखी है। विपक्ष का कहना है कि भाजपा और जदयू के बीच अंदरूनी खींचतान साफ दिखाई दे रही है और यही वजह है कि बंद कमरों में लगातार बैठकें हो रही हैं।

हालांकि, भाजपा और जदयू नेताओं का दावा है कि गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है और सभी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे।


अगले कुछ हफ्ते होंगे अहम

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार चुनाव को लेकर अगले कुछ हफ्ते बेहद महत्वपूर्ण होंगे।

  • सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय होने के बाद ही राजग चुनावी प्रचार में पूरी ताकत झोंक सकेगा।
  • नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात इस दिशा में पहला ठोस कदम मानी जा रही है।
  • यदि सभी दलों के बीच सहमति बन जाती है, तो राजग एकजुट होकर विपक्ष के सामने मजबूती से खड़ा होगा।