“25 से 30 हमारे दो भाई नरेंद्र और नीतीश” : बिहार चुनाव में भाजपा का नया नारा, गठबंधन में एकता और स्थिरता का संदेश
पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने एक नया राजनीतिक संदेश देते हुए नारा दिया है — “25 से 30, हमारे दो भाई नरेंद्र और नीतीश”। यह नारा केवल चुनावी घोषणा नहीं, बल्कि आगामी पांच वर्षों के लिए भाजपा और जदयू के बीच अटूट गठबंधन का प्रतीक माना जा रहा है। इस नारे के माध्यम से भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2025 से 2030 तक बिहार की बागडोर एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में ही रहेगी।
भाजपा का संदेश : नीतीश ही रहेंगे चेहरा
भाजपा ने इस नारे के जरिए विपक्ष के उस प्रचार को करारा जवाब दिया है जिसमें बार-बार कहा जा रहा था कि इस बार चुनाव के बाद भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। भाजपा ने न केवल इस दावे को नकारा, बल्कि सार्वजनिक रूप से यह भी जताया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) पूरी मजबूती के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगा।
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने जदयू को “बड़ा भाई” मानते हुए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन दिया था, जबकि उस चुनाव में जदयू को केवल 43 सीटें मिली थीं। भाजपा के इस कदम ने उस समय भी गठबंधन की मजबूती का संकेत दिया था, और अब नए नारे ने उस विश्वास को और मजबूत कर दिया है।
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सोशल मीडिया पर भाजपा का प्रचार अभियान
भाजपा ने बिहार चुनाव की घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया पर नारेबाज़ी की एक नई लहर शुरू कर दी है। पार्टी के आधिकारिक पेजों से लगातार ऐसे पोस्ट किए जा रहे हैं जो विकास, स्थिरता और गठबंधन की एकजुटता को केंद्र में रख रहे हैं।
एक पोस्ट में लिखा गया — “बिहार में जारी रहेगी विकास की तेज रफ्तार, 14 नवंबर को फिर एक बार राजग सरकार”।
दूसरे पोस्ट में संदेश था — “जनता का विश्वास, फिर से राजग सरकार! बस 38 दिन का है इंतज़ार, थमेगी नहीं विकास की रफ्तार।”
एक और पोस्ट में पार्टी ने दावा किया — “बिहार की जनता का मूड, मन-मिजाज सिर्फ एनडीए के साथ, 160 से अधिक सीटों पर जीतकर 14 नवंबर को फिर आ रही प्रचंड बहुमत की सरकार।”
इन नारों से यह साफ़ है कि भाजपा बिहार चुनाव में विकास और स्थिरता के मुद्दे को केंद्र में रखकर मतदाताओं के सामने उतर रही है।
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जेपी नड्डा की अपील : “राजग को दें अपना आशीर्वाद”
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने भी बिहार की जनता से विशेष अपील की है। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव है और यह चुनाव बिहार को विकास व सुशासन के मार्ग पर आगे बढ़ाने का अवसर है।
जेपी नड्डा ने कहा — “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार में राजग सरकार जनकल्याण और सुशासन का पर्याय बनी है। यह चुनाव प्रदेश को विकास के रास्ते पर निरंतर अग्रसर रखने, घुसपैठियों को रोकने और जंगलराज से बचाने का है।”
उन्होंने विश्वास जताया कि बिहार की जनता एक बार फिर भाजपा-जदयू गठबंधन पर भरोसा जताएगी और राजग को प्रचंड बहुमत से विजयी बनाएगी।
चिराग पासवान की नाराजगी पर विराम
वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान, जो हाल के दिनों में सीटों के बंटवारे को लेकर नाराज चल रहे थे, अब उनके तेवर नरम पड़ते नज़र आ रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े से संपर्क न होने पर चिराग कुछ असंतुष्ट थे। लेकिन इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं हस्तक्षेप किया।
शाह ने अपनी खास शैली में चिराग से बातचीत की और उन्हें स्पष्ट किया कि 2020 जैसी गलती इस बार नहीं दोहराई जानी चाहिए। शाह की इस पहल के बाद चिराग पासवान ने धर्मेंद्र प्रधान से चर्चा की और स्थिति काफी हद तक सामान्य हो गई।
सीटों को लेकर गतिरोध जारी
चिराग पासवान की पार्टी करीब 40 सीटों की मांग कर रही है। इनमें गोविंदगंज, ब्रह्मपुर, अतरी, महुआ और सिमरी बख्तियारपुर जैसी प्रमुख सीटें शामिल हैं। लेकिन जदयू इनमें से तीन सीटों पर अपने दावे से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यही तनाव बिहार की राजनीति में नई समीकरणों को जन्म दे सकता है। हालांकि भाजपा इस पूरे विवाद को सुलझाने की कोशिश में है ताकि गठबंधन का माहौल चुनाव तक स्थिर बना रहे।
पासवान की पार्टी ने भी दबाव बनाते हुए यह घोषणा कर दी है कि वह सभी 243 सीटों पर तैयारी कर रही है। यह बयान हालांकि राजनीतिक रणनीति के तहत माना जा रहा है, लेकिन इससे भाजपा पर समन्वय बनाने का दबाव भी बढ़ा है।
शाह की रणनीति : “2020 जैसी गलती नहीं दोहराई जाएगी”
दिल्ली में हुई बिहार कोर कमेटी की बैठक में अमित शाह ने साफ निर्देश दिए कि पिछली बार जैसी स्थिति दोहराई नहीं जानी चाहिए। वर्ष 2020 में चिराग पासवान की पार्टी ने गठबंधन से बाहर रहकर चुनाव लड़ा था, जिससे जदयू को काफी नुकसान हुआ था और नीतीश कुमार की सीटें घटकर 43 रह गई थीं। शाह ने पार्टी नेताओं को निर्देश दिया है कि इस बार सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर चुनावी रण में उतरना है।
बिहार की राजनीति में नया मोड़
भाजपा के नए नारे “25 से 30, हमारे दो भाई नरेंद्र और नीतीश” ने बिहार की राजनीति को नया रंग दे दिया है। विपक्ष जहाँ इसे केवल प्रचार की चाल बता रहा है, वहीं राजग समर्थक इसे स्थिरता और भरोसे का प्रतीक मान रहे हैं।
भाजपा का यह कदम स्पष्ट संकेत देता है कि पार्टी इस चुनाव में नेतृत्व को लेकर कोई विवाद नहीं चाहती और नीतीश कुमार के अनुभव तथा मोदी के नेतृत्व में विकास के ‘डबल इंजन’ की बात को जनता के बीच लेकर जाएगी।
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