भोपाल, 16 फरवरी: मध्यप्रदेश के सागर और भोपाल में 6 दिनों के भीतर 4 सिक्योरिटी गार्ड्स की निर्मम हत्या करने वाले सीरियल किलर शिव गोंड को शुक्रवार को भोपाल की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी। अपराधी ने बॉलीवुड फिल्म केजीएफ-2 देखने के बाद अपराध को अंजाम दिया था।
भोपाल के प्रधान सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार श्रीवास्तव ने मामले की सुनवाई करते हुए दोषी को उम्रकैद की सजा दी। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह भदौरिया ने पैरवी की और कोर्ट से कठोरतम दंड की मांग की थी।
6 दिनों में 4 हत्याएं, भोपाल-सागर में फैली थी दहशत
सीरियल किलर शिव गोंड ने 28 अगस्त से 2 सितंबर 2023 के बीच मध्यप्रदेश के सागर और भोपाल जिलों में 4 सिक्योरिटी गार्ड्स को मौत के घाट उतार दिया था। आरोपी अपने सभी पीड़ितों की हत्या पत्थर और भारी वस्तु से सिर कुचलकर करता था, जिससे पुलिस को शुरुआती जांच में कोई स्पष्ट सुराग नहीं मिल पा रहा था।
सागर जिले में 3 गार्ड्स की हत्या
- 28-29 अगस्त की रात – कैंट थाना क्षेत्र में कारखाने के चौकीदार कल्याण लोधी (50) की हत्या।
- 29-30 अगस्त की रात – सागर के गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज के चौकीदार शंभू नारायण दुबे (60) की हत्या।
- 30-31 अगस्त की रात – मोती नगर थाना इलाके में मकान की रखवाली कर रहे मंगल अहिरवार को मार डाला।
भोपाल में चौथी हत्या, CCTV से खुला राज
आरोपी ने सागर में 3 हत्याओं के बाद भोपाल का रुख किया और 2 सितंबर की रात खजूरी सड़क इलाके में मार्बल दुकान के चौकीदार सोनू वर्मा (23) की हत्या कर दी। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने आरोपी को 3 दिन बाद लालघाटी इलाके से गिरफ्तार कर लिया था।
केजीएफ-2 से प्रभावित होकर बना सीरियल किलर
पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि उसने फिल्म केजीएफ-2 देखने के बाद गार्ड्स की हत्या करने की योजना बनाई। उसने सबसे पहले सागर जिले में तीन वारदातों को अंजाम दिया और फिर भोपाल आकर चौथी हत्या की।
शिव गोंड के इस खूंखार अपराध ने भोपाल और सागर में दहशत का माहौल पैदा कर दिया था। पुलिस ने जब इसकी गिरफ्तारी की, तब स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली।
अदालत का फैसला: उम्रकैद की सजा
भोपाल की अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह भदौरिया ने बताया कि आरोपी की बर्बरता और निर्दयता को देखते हुए न्यायालय ने किसी भी तरह की रियायत नहीं दी।
इस फैसले से पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिला है और समाज को यह संदेश दिया गया कि अत्यंत जघन्य अपराधों के लिए कठोरतम सजा ही दी जाएगी।