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April 20, 2025 10:17 AM

भोज विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध नियुक्तियों का मामला विधानसभा में गूंजा, सरकारी कॉलेज में मूल्यांकन प्रक्रिया पर भी सवाल

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भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान भोज विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध नियुक्तियों और सरकारी कॉलेजों में कॉपियों के मूल्यांकन में अनियमितताओं का मामला जोर-शोर से उठा। कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों ने शिक्षा व्यवस्था में हो रही गड़बड़ियों पर सवाल खड़े किए, जिस पर सरकार ने सफाई दी और उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

भोज विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध नियुक्तियों पर हंगामा

विधानसभा में कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने भोज विश्वविद्यालय में वर्ष 2013-14 के दौरान हुई कर्मचारियों की नियुक्तियों को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि इन नियुक्तियों में नियमों का पालन नहीं किया गया और कई पदों पर अवैध रूप से नियुक्तियां की गईं।

विधायक ने सरकार से इस मामले में अब तक की गई कार्रवाई का जवाब मांगा। इस पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने जवाब देते हुए कहा,
“यह सही है कि भोज विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध नियुक्तियां की गई थीं। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया था और तत्काल उन नियुक्तियों को निरस्त करने के आदेश जारी किए गए थे। हालांकि, कुछ कर्मचारी इस निर्णय को लेकर अदालत गए, जहां उन्हें स्टे मिल गया। इसलिए उन कर्मचारियों को अभी हटाया नहीं जा सका है।”

मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है, जो संपूर्ण नियुक्ति प्रक्रिया की समीक्षा करेगी और दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिश करेगी।

वहीं, विधायक नारायण सिंह पट्टा ने मंत्री के जवाब पर आपत्ति जताई और कहा कि सिर्फ कुछ कर्मचारी ही कोर्ट गए थे, बाकी नियुक्तियों पर कार्रवाई की जा सकती थी। इस पर मंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार पूरे मामले की गहराई से जांच कराएगी और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी।

सरकारी कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से कॉपियों का मूल्यांकन कराने का आरोप

भाजपा विधायक ठाकुर दास नागवंशी ने पिपरिया के शासकीय शहीद भगत सिंह पीजी कॉलेज में विद्यार्थियों की कॉपियों के मूल्यांकन को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉलेज प्रशासन ने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करवाया, जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध है।

विधायक ने कहा,
“कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य ने जानबूझकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। योग्य शिक्षकों से मूल्यांकन करवाने के बजाय चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी से कॉपियां जांचवाई गईं। यह शिक्षा प्रणाली के साथ खिलवाड़ है और छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक असर डाल सकता है।”

इस मामले पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि सरकार ने इस पूरे मामले को संज्ञान में लिया है और जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी। मंत्री ने सदन में यह भी आश्वासन दिया कि कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य का तबादला किया जाएगा और पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।

सदन में गरमाई शिक्षा व्यवस्था को लेकर बहस

इन दोनों मामलों पर सदन में काफी देर तक चर्चा होती रही। विपक्ष ने राज्य सरकार पर शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि “शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।” वहीं, सरकार ने यह दावा किया कि “शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं और दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

क्या होगा आगे?

  • भोज विश्वविद्यालय में हुई नियम विरुद्ध नियुक्तियों की पूरी जांच के बाद सरकार अगला कदम उठाएगी।
  • अदालत के आदेश के कारण जिन कर्मचारियों को हटाया नहीं जा सका है, उनके खिलाफ कानूनी विकल्प तलाशे जाएंगे।
  • सरकारी कॉलेज में मूल्यांकन प्रक्रिया में अनियमितता के मामले में प्रभारी प्राचार्य के तबादले की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
  • शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार और कड़े नियम लागू कर सकती है।

भोज विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों और सरकारी कॉलेज में हुई मूल्यांकन अनियमितताओं को लेकर उठे सवालों ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर बहस छेड़ दी है। अब देखना होगा कि सरकार जांच के नतीजों के आधार पर क्या ठोस कदम उठाती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई की जाती है।

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