मध्यप्रदेश की भील भाषा का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद संभव, आदिवाणी एप की शुरुआत
नई दिल्ली। अब मध्यप्रदेश की भील भाषा को हिंदी और अंग्रेजी में अनुवादित करना संभव हो गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहल पर सोमवार को ‘आदिवाणी एप’ की शुरुआत की गई। यह एप फिलहाल देश की पांच प्रमुख आदिवासी भाषाओं – भीली (मध्यप्रदेश), मुंडारी (झारखंड), संताली और पुई (ओडिशा) तथा गोंडी (छत्तीसगढ़) – का अनुवाद करने में सक्षम है।
अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में जनजाति मामलों के राज्य मंत्री दुर्गादास उइके भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि इस एप के माध्यम से आदिवासी भाषाएं अब डिजिटल और वैश्विक स्तर पर पहुंच पाएंगी। यह न सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में सहायक होगा बल्कि आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य भी करेगा।
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आदिवासी भाषाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में बड़ा कदम
एप के विकास में आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी रायपुर और बिट्स पिलानी जैसे प्रमुख तकनीकी संस्थानों ने सहयोग दिया है। साथ ही मध्यप्रदेश, रायपुर, ओडिशा और रांची के जनजातीय शोध संस्थानों ने स्थानीय शब्दावली और भाषा-सामग्री उपलब्ध कराई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रयास जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और उनके वैश्विक प्रचार-प्रसार के लिए एक ऐतिहासिक कदम है।
कैसे करेगा काम एप?
‘आदिवाणी एप’ का उपयोग बेहद आसान है। इसमें उपयोगकर्ता को केवल टेक्स्ट टाइप करना है या फिर वॉइस अथवा डॉक्यूमेंट अपलोड करना है। एप तत्काल अनुवाद कर देता है। अभी यह हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद उपलब्ध कराता है, जबकि भविष्य में और भी भाषाओं को जोड़ा जाएगा।
विशेष बात यह है कि यह एप सिर्फ अनुवाद का ही माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक शब्दकोश की तरह भी कार्य करेगा। यानी उपयोगकर्ता अलग-अलग शब्दों के अर्थ और उनके भाषाई संदर्भ भी समझ सकते हैं।
सरकारी योजनाओं से भी जुड़ाव
कार्यक्रम में बताया गया कि आने वाले समय में इस एप के जरिए जनोपयोगी सरकारी योजनाओं की जानकारी भी आदिवासी भाषाओं में उपलब्ध कराई जाएगी। इससे ग्रामीण और दूरदराज के आदिवासी समुदाय सीधे लाभान्वित हो सकेंगे।
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