July 10, 2025 8:19 PM

तुर्की की सेलेबी कंपनी को भारत से बाहर का रास्ता, एयरपोर्ट सुरक्षा मंजूरी तत्काल रद्द

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पाकिस्तान को समर्थन देने की सजा, भारत ने तुर्की को कूटनीतिक और कारोबारी मोर्चे पर घेरा

नई दिल्ली। भारत सरकार ने एक बड़ा और कड़ा फैसला लेते हुए तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग सेवा प्रदाता कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। यह फैसला देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और इसके पीछे की वजह सिर्फ कारोबारी नहीं, बल्कि सीधा-सीधा तुर्की का पाकिस्तान समर्थक रवैया है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सेलेबी को 21 नवंबर 2022 को सुरक्षा से संबंधित क्लियरेंस दी गई थी, लेकिन अब उसे रद्द किया जा रहा है, क्योंकि यह निर्णय राष्ट्रहित में आवश्यक है। इस फैसले के साथ ही सेलेबी अब भारत के किसी भी हवाई अड्डे के सुरक्षा क्षेत्र में कोई भी संचालन या गतिविधि नहीं कर सकेगी।

तुर्की की भारत विरोधी भूमिका पड़ी भारी

हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच जब तनाव बढ़ा, उस दौरान तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। सबसे अहम बात यह रही कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जिन ड्रोन का इस्तेमाल किया, वे तुर्की में बने थे। इन ड्रोन का उपयोग एलओसी के पास भारतीय ठिकानों को टारगेट करने में किया गया, जिससे भारत की सुरक्षा एजेंसियों में गहरी चिंता बनी।

इतना ही नहीं, जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक और सीमित सैन्य कार्रवाई की, तब भी तुर्की ने उसका विरोध किया और पाकिस्तान का बचाव करने वाले बयान जारी किए। यही कारण है कि भारत ने अब तुर्की को केवल राजनीतिक मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि आर्थिक और कारोबारी स्तर पर भी जवाब देने का फैसला किया है।

सेलेबी का भारत में प्रभाव

सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज, तुर्की की प्रमुख ग्राउंड हैंडलिंग कंपनियों में से एक है, जो भारत में बीते कई वर्षों से कार्यरत है। यह कंपनी भारत के दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बंगलूरू, हैदराबाद, अहमदाबाद, गोवा, कोच्चि और कन्नूर जैसे महत्वपूर्ण हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं दे रही थी।

ग्राउंड हैंडलिंग में यात्रियों के सामान की ढुलाई, विमान की सफाई, बोर्डिंग-डिबोर्डिंग की व्यवस्था, ईंधन भराई, कार्गो संचालन जैसी कई महत्वपूर्ण सेवाएं शामिल होती हैं। ये सभी कार्य हवाई अड्डों के सुरक्षा घेरे में आते हैं, इसलिए इन सेवाओं में लगी कंपनियों को सुरक्षा मंजूरी (security clearance) देना अनिवार्य होता है। अब जब यह मंजूरी रद्द कर दी गई है, तो सेलेबी को इन कार्यों से हाथ खींचना होगा।

भारत का स्पष्ट संदेश – अब नीति बदली है

भारत ने यह फैसला लेकर एक बड़ा कूटनीतिक संदेश भी दिया है कि वह अब केवल बयानों से नहीं, कार्रवाई के जरिए भी जवाब देगा। भारत की यह नई नीति साफ कहती है कि जो देश भारत के विरोधियों के साथ खड़े होंगे, उन्हें भारत में किसी भी संवेदनशील क्षेत्र में कारोबार करने की छूट नहीं मिलेगी।

केंद्र सरकार का यह रुख इस बात को भी स्पष्ट करता है कि अब कारोबार और कूटनीति एक-दूसरे से अलग नहीं रह सकते। तुर्की को अब यह समझ लेना होगा कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के खिलाफ खड़ा होने की कीमत चुकानी पड़ेगी – चाहे वह कूटनीतिक हो या कारोबारी।

क्या यह कार्रवाई और कंपनियों पर भी लागू हो सकती है?

जानकार मानते हैं कि यह शुरुआत है। भारत सरकार अब उन सभी विदेशी कंपनियों की समीक्षा कर रही है जो ऐसे देशों से जुड़ी हैं जो भारत के विरोध में खड़े होते हैं। यदि आगे चलकर यह पाया गया कि किसी अन्य देश की कंपनी भी सुरक्षा के लिहाज़ से संवेदनशील स्थानों पर कार्यरत है और उसका मूल राष्ट्र भारत के विरुद्ध खड़ा है, तो उस पर भी इसी तरह की कार्रवाई हो सकती है।


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