देश में हरियाली बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 17 राज्यों में 57,700 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की
नई दिल्ली:
भारत सरकार के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, देश में वन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के तहत अब तक 17 राज्यों में 57,700 हेक्टेयर से अधिक बंजर वन भूमि को वृक्षारोपण के लिए चिह्नित किया गया है। यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इसमें व्यक्तियों, समुदायों, और निजी क्षेत्रों को स्वैच्छिक रूप से पर्यावरणीय कार्यों के लिए पुरस्कृत किया जाता है।
मध्यप्रदेश ने सबसे अधिक भूमि चिह्नित की
भारत के वन क्षेत्र में सबसे आगे रहने वाले मध्यप्रदेश ने 2 फरवरी 2025 तक 15,200 हेक्टेयर बंजर वन भूमि को वृक्षारोपण के लिए चिह्नित किया है, जो देश में सबसे अधिक है। अन्य राज्यों ने भी इस योजना के तहत भूमि चिह्नित की है:
- आंध्र प्रदेश – 11,361 हेक्टेयर
- गुजरात – 6,760 हेक्टेयर
- झारखंड – 5,648 हेक्टेयर
- तमिलनाडु – 4,708 हेक्टेयर
- बिहार – 4,108 हेक्टेयर
ये सभी राज्य इस योजना के तहत अपनी बंजर और क्षरित भूमि को हरियाली में बदलने की दिशा में कार्यरत हैं।
क्या है ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम?
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (GCP) भारत सरकार द्वारा अक्टूबर 2023 में शुरू किया गया एक पर्यावरणीय योजना है, जिसका मुख्य उद्देश्य बंजर और क्षरित भूमि की पारिस्थितिकी को पुनर्जीवित करना है। इस योजना के तहत:
- कोई भी व्यक्ति, संगठन, या निजी कंपनी क्षरित भूमि, खुले जंगल, झाड़ीदार भूमि, बंजर भूमि और जलग्रहण क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर ग्रीन क्रेडिट अर्जित कर सकता है।
- यह ग्रीन क्रेडिट व्यापार योग्य होता है, यानी इसे अन्य संस्थानों को बेचा जा सकता है।
- कंपनियां इस क्रेडिट का उपयोग अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के तहत कर सकती हैं।
- यह योजना जलवायु परिवर्तन से निपटने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होगी।
पर्यावरण विशेषज्ञों का विरोध
हालांकि, इस योजना को लेकर कुछ पूर्व भारतीय वन सेवा अधिकारियों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने विरोध जताया है। उनका मानना है कि:
- वृक्षारोपण का यह तरीका प्राकृतिक वन क्षेत्र और जैव विविधता का सही प्रतिस्थापन नहीं कर सकता।
- प्राकृतिक जंगलों की जगह कृत्रिम वृक्षारोपण वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों के लिए लाभकारी नहीं है।
- यह योजना वन संरक्षण से अधिक भूमि व्यापार को बढ़ावा देने का एक माध्यम बन सकती है।
विशेषज्ञों का तर्क है कि सिर्फ वृक्षारोपण करने से वनों का वास्तविक पुनर्जीवन नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए स्थानीय वनस्पतियों और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के अनुरूप प्रयास करने होंगे।
सरकार का दृष्टिकोण
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस योजना के तहत चरणबद्ध और पुनरावृत्ति दृष्टिकोण अपनाने की बात कही है।
- प्रारंभिक चरण में दो से तीन गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- धीरे-धीरे अन्य चयनित क्षेत्रों में अधिक गतिविधियां जोड़ी जाएंगी।
- अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया कि ग्रीन क्रेडिट विभिन्न संस्थाओं और समूहों से उत्पन्न होगा, जिसमें आम नागरिक, किसान उत्पादक संगठन, सहकारी समितियां, वानिकी उद्यम, टिकाऊ कृषि समूह, निजी कंपनियां, और स्थानीय निकाय शामिल होंगे।
क्यों महत्वपूर्ण है यह योजना?
ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम देश के वन क्षेत्र को बढ़ाने और पर्यावरणीय क्षति की भरपाई करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके माध्यम से:
- बंजर भूमि को पुनः हरित बनाया जा सकता है।
- जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।
- कार्बन क्रेडिट प्रणाली को बढ़ावा देकर उद्योगों को पर्यावरण अनुकूल बनाने में सहायता मिलेगी।
- स्थानीय समुदायों को वृक्षारोपण और हरित रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
हालांकि, इस योजना की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी पारदर्शिता और प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह योजना केवल वृक्षारोपण तक सीमित न रहे, बल्कि स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करे।
भारत का ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम एक महत्वाकांक्षी योजना है जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। हालांकि, इसे लेकर विशेषज्ञों की चिंताएं भी बनी हुई हैं। यदि इस योजना को प्राकृतिक वन संरक्षण और स्थानीय समुदायों की भागीदारी के साथ जोड़ा जाए, तो यह देश की हरित संपदा को बढ़ाने में एक क्रांतिकारी पहल साबित हो सकती है।