9 जुलाई को भारत बंद: बैंक, बीमा, डाक और परिवहन सेवाएं रहेंगी प्रभावित

नई दिल्ली।
देशभर में मंगलवार, 9 जुलाई को एक बड़े भारत बंद का असर देखने को मिल सकता है। 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनसे जुड़े सहयोगी संगठनों ने मिलकर देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है, जिसमें करीब 25 करोड़ कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। हड़ताल का मकसद केंद्र सरकार की श्रमिक, किसान और निजीकरण संबंधी नीतियों का विरोध करना है।

इस विरोध प्रदर्शन का असर बैंकिंग, बीमा, डाक, कोयला खनन, सरकारी परिवहन और निर्माण कार्यों पर सबसे ज्यादा पड़ने की संभावना है। रेलवे और पर्यटन जैसे कुछ अहम क्षेत्रों को इस हड़ताल से फिलहाल बाहर रखा गया है।


🔴 हड़ताल में कौन-कौन हो रहा शामिल?

हड़ताल में कई अहम सेक्टरों के कर्मचारी शामिल हो रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • बैंक (सरकारी और को-ऑपरेटिव दोनों)
  • बीमा कंपनियां (जैसे LIC)
  • डाक सेवाएं
  • कोयला खनन क्षेत्र
  • निर्माण कार्य
  • सरकारी परिवहन (राज्य परिवहन बसें आदि)
  • ग्रामीण मजदूर और किसान संगठन
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⚠️ क्या-क्या होगा प्रभावित?

  • बैंकिंग सेवाएं: बैंकों में लेनदेन ठप रहने या सीमित स्टाफ से काम चलने की आशंका है।
  • डाक सेवा: पार्सल और चिट्ठियों की डिलीवरी में देरी संभव है।
  • परिवहन: कई राज्यों में स्टेट बसें नहीं चलेंगी, जिससे आम जनता को आवाजाही में दिक्कत होगी।
  • कोयला खनन: कोल इंडिया जैसी कंपनियों में उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  • बीमा कार्यालय: LIC जैसी बीमा कंपनियों में भी कामकाज ठप रह सकता है।

🤝 कौन कर रहा समर्थन?

  • संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने इस बंद को समर्थन दिया है।
  • कृषि मजदूर संगठनों ने भी हड़ताल में हिस्सा लेने का ऐलान किया है।
  • कुछ विपक्षी पार्टियां भी इस बंद का समर्थन कर रही हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रैलियां, प्रदर्शन और सभाएं आयोजित की जाएंगी।

ट्रेड यूनियनों की मांगें क्या हैं?

  • पब्लिक सेक्टर का निजीकरण बंद हो
  • चार लेबर कोड्स रद्द किए जाएं
  • मजदूरों को हड़ताल और सामूहिक सौदेबाजी का अधिकार मिले
  • किसानों और मजदूरों की समस्याओं पर ठोस नीति बने

यूनियनों का कहना है कि सरकार की नीतियां कॉरपोरेट्स के पक्ष में और मजदूरों-किसानों के खिलाफ हैं। लेबर लॉ में बदलावों ने कर्मचारी सुरक्षा और अधिकारों को कमजोर किया है


🏫 स्कूल-कॉलेजों का क्या होगा?

फिलहाल स्कूल और कॉलेजों को लेकर कोई स्पष्ट आदेश नहीं आया है।
हालांकि, परिवहन सेवाओं पर असर पड़ने के कारण छात्रों और शिक्षकों को आने-जाने में परेशानी हो सकती है। अभिभावकों को सलाह है कि वे स्थानीय प्रशासन या स्कूल-कॉलेज से संपर्क कर स्थिति स्पष्ट करें।


📜 पहले भी हुए हैं ऐसे भारत बंद

  • नवंबर 2020, मार्च 2022, और फरवरी 2024 में भी इसी तरह की देशव्यापी हड़तालें हो चुकी हैं
  • इन बंदों में लाखों कर्मचारियों और किसानों ने हिस्सा लिया था और सरकारी नीतियों का विरोध किया था।

🚨 सरकार का रुख और शांति की अपील

अब तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
पिछली बार की तरह सरकार इस बार भी हड़ताल के असर को सीमित बताने की कोशिश कर सकती है।
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि हड़ताल पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगी और इसका उद्देश्य सरकार का ध्यान जनविरोधी नीतियों की ओर दिलाना है।

हालांकि, इतने बड़े पैमाने की हड़ताल से कुछ इलाकों में असुविधा या तनाव की स्थिति बन सकती है। सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं।


📌 क्या करें आम नागरिक?

  • जरूरी कामों को आज यानी 8 जुलाई को ही निपटा लें
  • बैंकिंग, बीमा, डाक, बस सेवा जैसी सेवाओं में देरी की संभावना को ध्यान में रखें।
  • स्कूल/कॉलेज या ऑफिस से जुड़े लोग स्थानीय सूचना या नोटिस जरूर चेक करें।


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