July 13, 2025 1:25 AM

बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने 500 करोड़ से 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण की अनुमति दी

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मथुरा। प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। मंदिर के आसपास भव्य कॉरिडोर बनाने का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद साफ हो गया है। गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के खजाने से लगभग 500 करोड़ रुपए की राशि से मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की अनुमति दी है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि अधिगृहीत की गई जमीन भगवान बांके बिहारी के नाम पर पंजीकृत होगी।

इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर के आसपास की भूमि खरीदने के लिए सरकारी धन के उपयोग पर रोक लगा दी थी, जिससे कॉरिडोर के निर्माण पर प्रश्नचिह्न लग गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को संशोधित करते हुए यूपी सरकार को मंदिर के खजाने से जमीन खरीदने की छूट दे दी है।

मंदिर के खजाने से कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदी जाएगी

बांके बिहारी मंदिर का खजाना देश के प्रमुख धार्मिक खजानों में से एक माना जाता है। मंदिर में जमा लगभग 450 करोड़ रुपए की राशि से ही इस कॉरिडोर के लिए जमीन खरीदने का प्रस्ताव था, जिसे मंदिर के गोस्वामियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे याचिकाकर्ता ईश्वर चंद्र शर्मा ने कॉरिडोर निर्माण और रिसीवर नियुक्ति को लेकर याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यूपी सरकार मंदिर के खजाने से केवल भूमि अधिग्रहण के लिए पैसा इस्तेमाल कर सकेगी। इस भूमि अधिग्रहण से प्रभावित मकान मालिकों को उचित मुआवजा भी दिया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद कॉरिडोर की जमीन मंदिर के नाम ही होगी, जिससे मंदिर प्रबंधन के अधिकारों में कोई कमी नहीं आएगी।

500 करोड़ रुपए से होगा कॉरिडोर निर्माण

यूपी सरकार की योजना है कि मंदिर के आसपास 5 एकड़ क्षेत्र में एक विशाल और भव्य कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसका कुल खर्च लगभग 500 करोड़ रुपए होगा। यह कॉरिडोर भक्तों के लिए बेहतर सुविधाएं मुहैया कराएगा और भीड़ प्रबंधन को आसान बनाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मंदिर के खजाने से खरीदी गई भूमि केवल मंदिर के नाम पर ही पंजीकृत की जाएगी, जिससे भविष्य में इस पर किसी सरकारी हस्तक्षेप की संभावना नहीं रहेगी।

मंदिरों में अब रिसीवर होंगे धार्मिक पृष्ठभूमि वाले

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन को लेकर भी महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अब मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में रिसीवर के रूप में केवल वे व्यक्ति नियुक्त होंगे जिनका धार्मिक झुकाव होगा और जो वैष्णव संप्रदाय से जुड़े होंगे। कोर्ट ने कहा कि वेद-शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले और मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोग ही रिसीवर बनें। प्रशासनिक अधिकारी या अधिवक्ताओं को मंदिर प्रबंधन से दूर रखा जाएगा।

हाईकोर्ट ने पहले लगाया था रोक

बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण को लेकर हाईकोर्ट ने 20 नवंबर 2023 को यूपी सरकार की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि मंदिर के खजाने का उपयोग कॉरिडोर निर्माण के लिए नहीं किया जा सकता, सरकार को खुद खर्च उठाना होगा।

यूपी सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया था कि यदि जमीन सरकार के नाम खरीदी गई तो सरकार का उस पर मालिकाना हक होगा, जिससे मंदिर का नियंत्रण कॉरिडोर पर नहीं रहेगा। इसलिए मंदिर के नाम जमीन खरीदना जरूरी है ताकि कॉरिडोर मंदिर से जुड़ा रहे और मंदिर प्रबंधन इसका संचालन कर सके।

सरकार ने कोर्ट में कहा – भीड़ प्रबंधन जरूरी

यूपी सरकार ने कोर्ट को बताया कि बांके बिहारी मंदिर में रोजाना 40-50 हजार भक्त दर्शन करने आते हैं। वीकेंड और त्योहारों के दौरान यह संख्या बढ़कर लाखों में पहुंच जाती है। इसलिए भीड़ प्रबंधन के लिए कॉरिडोर बनाना अत्यंत आवश्यक है। सरकार ने कहा कि उसका मकसद मंदिर के अंदर प्रबंधन पर कब्जा करना नहीं है, बल्कि भक्तों की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।




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