बांग्लादेश के विवादित नक्शे पर भारत में हंगामा, 7 राज्यों को दिखाया गया बांग्लादेश का हिस्सा
नई दिल्ली। भारत की क्षेत्रीय अखंडता से जुड़े एक गंभीर मुद्दे पर गुरुवार को राज्यसभा में जबरदस्त बहस देखने को मिली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित एक प्रदर्शनी में ऐसा नक्शा प्रदर्शित किया गया जिसमें भारत के सात राज्यों – पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, बिहार, झारखंड और ओडिशा – के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश के नक्शे में शामिल दिखाया गया है। इसे उन्होंने “ग्रेटर बांग्लादेश” के खतरनाक एजेंडे से जोड़ा और सरकार से इस मामले पर सख्त रुख अपनाने की मांग की।
सुरजेवाला के तीखे सवाल
रणदीप सुरजेवाला ने संसद में दो अहम सवाल उठाए:
- क्या भारत सरकार ने इस विवादित नक्शे के मामले को बांग्लादेश सरकार के सामने कूटनीतिक रूप से उठाया है?
- क्या तुर्की और पाकिस्तान के बांग्लादेश में बढ़ते प्रभाव और इससे जुड़ी कट्टरपंथी गतिविधियों का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का कोई आकलन किया गया है?
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रकार के प्रचार से भारत की संप्रभुता को चुनौती मिल सकती है और यह न केवल एक सांस्कृतिक या ऐतिहासिक विषय है, बल्कि यह एक रणनीतिक खतरा भी बन सकता है।

विदेश मंत्री का संतुलित जवाब
इस मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सुरजेवाला के सवालों का लिखित उत्तर राज्यसभा में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार पूरे घटनाक्रम पर सतर्क निगाह रखे हुए है और वह किसी भी प्रकार की शत्रुतापूर्ण गतिविधियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने चार बिंदुओं में सरकार का पक्ष स्पष्ट किया:

- सरकार को ऐसी रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं जिनमें ढाका विश्वविद्यालय में आयोजित एक प्रदर्शनी में ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ नामक इस्लामी संगठन द्वारा भारत के हिस्सों को शामिल करते हुए ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का नक्शा प्रस्तुत किया गया है।
- बांग्लादेश सरकार की ओर से चलाए जा रहे फैक्ट-चेकिंग पोर्टल ‘बांग्लाफैक्ट’ ने दावा किया है कि इस संगठन का कोई औपचारिक अस्तित्व नहीं है और उसके संचालन के कोई पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं।
- यह भी स्पष्ट किया गया है कि उक्त नक्शा तथाकथित ‘पुराने बंगाल सल्तनत’ के संदर्भ में एक ऐतिहासिक प्रदर्शनी का हिस्सा था, न कि किसी आधिकारिक सरकार समर्थित दस्तावेज़ का।
- भारत सरकार किसी भी ऐसी गतिविधि पर पैनी नजर रखती है जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय अखंडता या कूटनीतिक हितों को प्रभावित कर सकती है। सरकार सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार है।

विवादित नक्शे के पीछे कौन?
विदेश मंत्रालय की ओर से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह विवादित नक्शा 14 अप्रैल 2025 को ढाका यूनिवर्सिटी में एक प्रदर्शनी में लगाया गया था। इसे ‘सल्तनत-ए-बांग्ला’ नामक संगठन ने प्रदर्शित किया, जिसे तुर्की के NGO ‘तुर्की यूथ फेडरेशन’ का समर्थन प्राप्त है। भारत सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार और तुर्की के बीच हाल ही में सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों में तेजी आई है। इससे कट्टरपंथी विचारधारा और राजनीतिक-धार्मिक गठजोड़ की आशंका को बल मिलता है।
पिछले वर्ष भी उठा था ऐसा ही विवाद
यह कोई पहला मामला नहीं है जब बांग्लादेश की ओर से इस प्रकार का विवादित नक्शा सामने आया है। पिछले वर्ष भी सोशल मीडिया पर ग्रेटर बांग्लादेश के समर्थन में एक नक्शा वायरल हुआ था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बड़े हिस्सों को बांग्लादेश में शामिल दिखाया गया था। उस समय भी भारत सरकार ने इस पर गंभीर चिंता जताई थी।
क्या है ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का मकसद?
‘ग्रेटर बांग्लादेश’ एक विवादास्पद और खतरनाक विचारधारा है, जो भारत, म्यांमार और नेपाल के कुछ हिस्सों को एक कल्पित बांग्लादेशी राज्य के भीतर लाने की कल्पना करती है। यह विचार न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करता है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी बड़ा खतरा है। भारत के लिए यह केवल एक सांस्कृतिक-राजनीतिक चुनौती नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक और रणनीतिक चेतावनी है।
बांग्लादेश की राजधानी में लगाए गए इस विवादित नक्शे ने भारत में राजनीतिक हलकों और सुरक्षा एजेंसियों में गंभीर चिंता पैदा की है। सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेताओं ने संसद के पटल पर इसका मामला उठाकर सरकार को चेताया है कि पड़ोसी देशों में तुर्की और पाकिस्तान जैसे बाहरी शक्तियों के प्रभाव को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। विदेश मंत्री का जवाब भले ही संतुलित और औपचारिक हो, लेकिन देश की सुरक्षा एजेंसियों को इस घटनाक्रम पर सतत नजर रखनी होगी।
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