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February 15, 2025 7:59 PM

‘बाल सैनिक’ के रूप में पाकिस्तान से युद्ध लड़े हवलदार बलदेव सिंह का निधन, सैन्य सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार

पाकिस्तान से युद्ध लड़े बाल सैनिक बलदेव सिंह का निधन - सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार"

नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान युद्धों में अपनी वीरता का परचम लहराने वाले हवलदार (सेवानिवृत्त) बलदेव सिंह का निधन हो गया। 93 वर्षीय इस महान योद्धा ने पाकिस्तान के खिलाफ चार युद्धों में भाग लिया और देश की रक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका निधन सोमवार को जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के अपने गृहनगर नौशेरा में हुआ। उनके निधन के बाद मंगलवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

बलदेव सिंह का जन्म 27 सितंबर 1931 को जम्मू और कश्मीर के नौनिहाल गांव में हुआ था। 1947-48 के युद्ध के दौरान, जब वह केवल 16 वर्ष के थे, उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होकर ‘बाल सैनिक’ के रूप में पाकिस्तान से लड़ाई लड़ी। वे 50 पैरा ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में लड़ाई के दौरान भारत-पाक सीमा पर भारतीय सेना के लिए ‘डिस्पैच रनर’ के रूप में कार्य करते थे। इस बाल सैनिक समूह में 12 से 16 साल के स्थानीय लड़कों को शामिल किया गया था, जो अग्रिम चौकियों तक आपूर्ति भेजने, हताहतों को निकालने और सेना के लिए अन्य महत्वपूर्ण कार्य करते थे।

बाल सैनिकों में उनकी बहादुरी को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें सम्मानित किया था। इसके बाद, 14 नवंबर 1950 को उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का निर्णय लिया और सेना में 29 वर्षों तक सेवा की। वह 1961, 1962 और 1965 के भारत-पाक युद्धों में भी शामिल रहे, और उनकी वीरता के कारण उन्हें कई सैन्य सम्मान प्राप्त हुए।

सेवानिवृत्ति के बाद भी दिया था योगदान

1969 में हवलदार पद से सेवानिवृत्त होने के बावजूद, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्हें एक बार फिर से बुलाया गया। वह 11 जाट बटालियन (25 इन्फैंट्री डिवीजन) के साथ आठ महीने तक अपनी सेवा में रहे और देश की रक्षा के लिए अपनी भूमिका निभाई। इसके बाद वह अपनी सेवानिवृत्ति की स्थिति में थे, लेकिन उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत

नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौशेरा की अपनी यात्रा के दौरान हवलदार बलदेव सिंह से मुलाकात की थी। मोदी ने युद्ध के समय उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और बताया कि किस तरह उन्होंने बाल सैनिक के रूप में युद्ध के दौरान अग्रिम चौकियों पर आपूर्ति भेजने और घायल सैनिकों को निकालने में मदद की थी। पीएम मोदी ने इस महान योद्धा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके योगदान को भारतीय इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।

सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई

हवलदार बलदेव सिंह का निधन सैन्य सम्मान के साथ हुआ और उनकी आत्मा को शांति देने के लिए नौशेरा में उन्हें सलामी दी गई। उनके परिवार, सैन्य अधिकारियों, और देशवासियों ने उनके योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित की। बलदेव सिंह को उनके देशभक्ति और वीरता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनका जीवन भारतीय सैनिकों और युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

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