पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अज़हरुद्दीन कल लेंगे मंत्री पद की शपथ, भाजपा ने आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया
हैदराबाद।
तेलंगाना की राजनीति में क्रिकेटर से नेता बने मोहम्मद अज़हरुद्दीन एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कांग्रेस नेता और पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान अज़हरुद्दीन को शुक्रवार दोपहर 12:15 बजे राजभवन में मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। इसके लिए राजभवन में तैयारियां जोरों पर हैं।
हालांकि, अज़हरुद्दीन को मंत्रिमंडल में शामिल करने के इस फैसले पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ा विरोध जताया है। भाजपा ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए शपथ ग्रहण समारोह को रोकने की मांग की है।
कांग्रेस ने दी हरी झंडी, राज्यपाल को भेजा प्रस्ताव
सूत्रों के अनुसार, अज़हरुद्दीन के नाम को मंत्री पद के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) से मंजूरी मिल चुकी है। राज्य सरकार ने इसके बाद राज्यपाल को मंत्रिमंडल विस्तार का औपचारिक प्रस्ताव भेज दिया है। इसी के आधार पर शुक्रवार को शपथ ग्रहण कार्यक्रम तय किया गया है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि इस सरकार में हैदराबाद से किसी मंत्री का नाम पहली बार शामिल किया जा रहा है, और अज़हरुद्दीन को यह जिम्मेदारी देने का निर्णय कांग्रेस की “शहरी और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की रणनीति” का हिस्सा माना जा रहा है।

भाजपा ने कहा — “आचार संहिता का खुला उल्लंघन”
भाजपा ने इस कदम को पूरी तरह अनुचित बताया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जब राज्य में जुबली हिल्स उपचुनाव चल रहा है, तब किसी व्यक्ति को मंत्री पद देना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
भाजपा विधायक पायल शंकर और वरिष्ठ नेता मर्री शशिधर रेड्डी ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि,
“जब चुनाव प्रक्रिया जारी है, उस दौरान किसी वर्ग विशेष को मंत्री पद देना न केवल आचार संहिता का उल्लंघन है, बल्कि इससे मतदाताओं पर प्रभाव डालने की कोशिश भी है। अगर अज़हरुद्दीन को मंत्री बनाना ही है, तो यह निर्णय उपचुनाव के बाद लिया जाना चाहिए।”
भाजपा का कहना है कि कांग्रेस इस निर्णय के जरिए “राजनीतिक लाभ” उठाने की कोशिश कर रही है और यह कदम मतदान को प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है।
जुबली हिल्स उपचुनाव के बीच सियासी सरगर्मी
हैदराबाद की जुबली हिल्स विधानसभा सीट से विधायक मगांती गोपीनाथ के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। इसके चलते वहां उपचुनाव कराए जा रहे हैं। सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने दिवंगत विधायक की पत्नी मगांती सुनीता को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस और भाजपा दोनों इस उपचुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न मान रही हैं।
ऐसे में अज़हरुद्दीन को मंत्री पद देने का निर्णय कांग्रेस की चुनावी रणनीति से जुड़ा हुआ माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अल्पसंख्यक मतदाताओं और शहरी क्षेत्र के मतदाताओं को साधने के लिए उठाया गया है।
2023 में लड़ा था चुनाव, फिर बने एमएलसी
पूर्व भारतीय कप्तान अज़हरुद्दीन ने 2023 के विधानसभा चुनाव में जुबली हिल्स सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। चुनाव हारने के बाद उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद (एमएलसी) के रूप में नामित किया गया।
अब उन्हें मंत्री बनाए जाने का निर्णय उनके राजनीतिक करियर के लिए एक नया मोड़ माना जा रहा है। कांग्रेस का मानना है कि अज़हरुद्दीन की लोकप्रियता और राष्ट्रीय पहचान पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगी।
भाजपा ने की चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग
तेलंगाना भाजपा ने कहा है कि कांग्रेस सरकार “राजनीतिक नैतिकता की सीमाएं लांघ रही है।” भाजपा नेताओं ने चुनाव आयोग से मांग की है कि शपथ ग्रहण को उपचुनाव की समाप्ति तक स्थगित किया जाए।
भाजपा प्रवक्ता का कहना है,
“कांग्रेस एक वर्ग को मंत्री पद देकर राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। यह चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है।”
कांग्रेस का जवाब — “विपक्ष बौखलाया हुआ है”
वहीं, कांग्रेस ने भाजपा के आरोपों को “निराधार और राजनीतिक हताशा का परिणाम” बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अज़हरुद्दीन को मंत्री बनाना सरकार का प्रशासनिक निर्णय है और इसका किसी चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
पार्टी का कहना है कि भाजपा को डर है कि अज़हरुद्दीन की लोकप्रियता से कांग्रेस को तेलंगाना में राजनीतिक फायदा मिल सकता है।
अज़हरुद्दीन का राजनीतिक सफर
मोहम्मद अज़हरुद्दीन भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रहे हैं और उन्होंने देश के लिए 99 टेस्ट और 334 वनडे मैच खेले हैं। राजनीति में उन्होंने 2009 में कांग्रेस पार्टी से प्रवेश किया और मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने।
तेलंगाना में वे लंबे समय से कांग्रेस संगठन से जुड़े रहे हैं और क्रिकेट प्रशासन में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। अब मंत्री पद की शपथ के साथ वे राज्य सरकार में पहली बार जिम्मेदारी संभालेंगे।
अज़हरुद्दीन के शपथ ग्रहण को लेकर जहां कांग्रेस खेमे में उत्साह है, वहीं भाजपा इसका चुनावी दुरुपयोग बताकर सियासी हमलावर रुख अपनाए हुए है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस विवादित मसले पर क्या रुख अपनाता है।
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