नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। शीर्ष अदालत ने दोनों को सड़क साफ करने वाली मशीन चोरी के मामले में जमानत दे दी। इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला साल 2022 का है, जब आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ रामपुर जिले की नगर पालिका परिषद द्वारा खरीदी गई एक सड़क साफ करने वाली मशीन चोरी करने का आरोप लगा था।
आरोप के मुताबिक, नगर पालिका की यह मशीन जौहर विश्वविद्यालय से बरामद की गई थी, जिसे आजम खान ने बनवाया था और वह इसके चांसलर भी थे। इस मामले को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई थी और जांच के बाद उन पर कानूनी कार्रवाई की गई थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्यों खारिज की थी जमानत?
इस केस में 21 सितंबर 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट के जस्टिस समित गोपाल की सिंगल बेंच ने यह आदेश देते हुए कहा था कि आरोप गंभीर हैं और जांच में सामने आए सबूतों को ध्यान में रखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और राहत
इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद आजम खान और उनके बेटे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की और अंततः गुरुवार को दोनों को जमानत दे दी।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आजम खान और उनके बेटे के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इससे पहले कई मामलों में उन्हें कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
आजम खान पर पहले से हैं कई केस
गौरतलब है कि आजम खान पर भ्रष्टाचार, जमीन हड़पने, अभद्र भाषा और धोखाधड़ी से जुड़े कई केस दर्ज हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन पर कानूनी शिकंजा और मजबूत होता गया है, जिससे उनकी राजनीतिक और व्यक्तिगत स्थिति प्रभावित हुई है।
राजनीतिक असर
आजम खान उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम हैं और समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान भी राजनीति में सक्रिय हैं। यह जमानत उन्हें राजनीतिक रूप से मजबूती देने का काम कर सकती है, खासकर 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, उनके खिलाफ अन्य कई मामले लंबित हैं, जिनमें उन्हें आगे भी कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि इस जमानत के बाद उनकी राजनीतिक सक्रियता कितनी बढ़ती है और आगामी चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है।