दृश्य माध्यम से जुड़े रहेंगे सभी मंदिर, पूजन विधि में रहेगी एकरूपता
अयोध्या, 28 मई (हि.स.)।
श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर परिसर के नवनिर्मित आठ देवालयों में त्रिदिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत एक साथ प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होगी। इस ऐतिहासिक आयोजन की शुरुआत 2 जून को सरयू तट से भव्य जल कलश यात्रा से होगी, जो मंदिर परिसर की यज्ञशाला तक पहुंचेगी। विशेष बात यह है कि सभी मन्दिरों में पूजन अनुष्ठान एक साथ और एक जैसी विधि से होंगे, जिन्हें कैमरा और स्क्रीन के माध्यम से आपस में जोड़ा जाएगा।


त्रिदिवसीय अनुष्ठान: समय और विधि का निर्धारण
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में बताया कि तीन दिवसीय पूजन कार्यक्रम ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी (3 जून) से प्रारम्भ होकर दशमी (5 जून) तक चलेगा। अनुष्ठान हर दिन सुबह 6:30 से शुरू होगा। अंतिम दिन यानी 5 जून को प्राण प्रतिष्ठा विशेष मुहूर्त में पूर्वाह्न 11:25 बजे होगी, उसके बाद पूजा, भोग और आरती कर आयोजन का समापन दोपहर 1 बजे तक कर दिया जाएगा।
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इन प्रमुख देवालयों में होगी प्राण प्रतिष्ठा
श्रीराम मंदिर परिसर में जिन देवालयों में एक साथ प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी, उनमें परकोटे के ईशान कोण पर शिवलिंग, अग्निकोण में श्री गणेश, दक्षिणी भुजा में हनुमान जी, नैऋत्य कोण में सूर्य देव, वायव्य कोण में मां भगवती, उत्तरी भुजा में अन्नपूर्णा माता और मुख्य मंदिर के प्रथम तल पर श्रीराम दरबार शामिल हैं। इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम कोने में शेषावतार की प्रतिमा भी प्रतिष्ठित की जाएगी।

जल कलश यात्रा का मार्ग और महत्व
2 जून को दूसरी बेला में (सायं 4 बजे) सरयू तट के पुराने पुल के पूर्वी किनारे से जल कलश यात्रा आरंभ होगी। यह यात्रा वीणा चौक, राम पथ, श्रृंगार हाट, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, रामकोट और रंगमहल बैरियर से होते हुए यज्ञशाला पहुंचेगी। यह आयोजन धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन रहा है।
काशी के आचार्य कराएंगे अनुष्ठान
पूरे पूजन विधि की अगुवाई काशी के विद्वान आचार्य जय प्रकाश करेंगे, जो पूर्व में 5 अगस्त 2020 और 22 जनवरी 2024 के प्रमुख पूजन अनुष्ठानों का भी हिस्सा रह चुके हैं। उनके साथ बस्ती के अमर नाथ और अन्य विभिन्न क्षेत्रों से आए ऋत्विक भी अनुष्ठान में सम्मिलित होंगे।
दर्शन व्यवस्था पर विचार जारी
ट्रस्ट के अनुसार, प्रथम तल पर स्थित श्रीराम दरबार के दर्शन के लिए सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को अनुमति दी जाएगी। संभावना है कि प्रति घंटे 50 श्रद्धालुओं को पास जारी किए जाएं। इस विषय पर विस्तृत योजना पर अभी विमर्श जारी है।
यह समूचा आयोजन श्रीराम जन्मभूमि परिसर में धार्मिक चेतना की नई ऊर्जा भरने वाला होगा और इसे ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में एक अभूतपूर्व क्षण के रूप में देखा जा रहा है।
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