अयोध्या में बन रहा भव्य राम मंदिर अब धीरे-धीरे अपने अंतिम स्वरूप की ओर बढ़ रहा है। 6 जून 2025 से भक्तों के लिए एक नई शुरुआत होने जा रही है, जब वे पहली बार प्रथम तल पर बने राम दरबार के दर्शन कर सकेंगे। इससे पहले 23 मई को भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी की मूर्तियों की स्थापना की जाएगी, हालांकि इसके लिए कोई औपचारिक प्राण प्रतिष्ठा समारोह नहीं होगा।
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के अनुसार, मूर्तियों को सफेद संगमरमर से जयपुर में तैयार किया जा रहा है और अप्रैल के अंत तक ये अयोध्या पहुंच जाएंगी। मंदिर का दूसरा तल भी 6 जून तक तैयार कर लिया जाएगा, जबकि परिसर की बाहरी दीवारों का काम बाद में पूरा किया जाएगा।
श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे 8 अन्य मंदिर भी
राम दरबार के साथ ही, महर्षि वाल्मीकि मंदिर सहित सात अन्य मंदिरों को भी इसी दिन श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। मंदिर परिसर में शिव, गणेश और हनुमान जी के भी मंदिर होंगे, जबकि सप्तऋषि मंडप में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और अहिल्या की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की प्रतिमा भी लगेगी।
गिलहरी प्रतिमा और चार आध्यात्मिक द्वार
मंदिर परिसर की विशेष आकर्षणों में अंगद टीला परिसर में स्थापित की जाने वाली गिलहरी की कांस्य प्रतिमा होगी, जो न केवल श्रद्धा का प्रतीक बनेगी बल्कि एक सुंदर फोटो स्पॉट भी होगी।
राम मंदिर में बनाए जा रहे चार मुख्य द्वार – रामानुज, शंकराचार्य, माधवाचार्य और रामानंदाचार्य द्वार – भारत की चार भिन्न आध्यात्मिक परंपराओं की एकता का प्रतीक होंगे।
नव्य अयोध्या में 108 फुट ऊंची शिव प्रतिमा और चांदी का राम दरबार
रामनगरी अयोध्या के पंचकोसी परिक्रमा मार्ग स्थित मौनी बाबा क्षेत्र में जल्द ही 108 फुट ऊंची भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाएगी। साथ ही, श्रीरामकृष्ण कृपा धाम नामक आश्रम में चांदी से बनी राम दरबार की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी, जिसमें सिंहासन और दरवाज़े भी चांदी के होंगे। आश्रम परिसर में 125 कमरे, राधा-कृष्ण, खाटू श्याम जी और रानी सती के मंदिर भी निर्मित होंगे।
इस योजना के अंतर्गत सरकार से प्राप्त 17,500 वर्गमीटर भूमि पर एक आधुनिक अस्पताल भी बनाया जाएगा, जिसमें वृद्धजनों, संतों और गरीबों के लिए विशेष चिकित्सा सुविधा दी जाएगी। इसकी शुरुआत एक मोबाइल डिस्पेंसरी से होगी।
राम मंदिर के हर पत्थर में बसता है श्रद्धा का संकल्प, और हर निर्माण एक नई शुरुआत का प्रतीक है। अयोध्या अब न केवल रामभक्ति का केंद्र है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक चेतना का भी भव्य प्रतीक बनता जा रहा है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!