नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अब 19 जून को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना होंगे। यह मिशन अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च होगा।

बार-बार टलती रही थी लॉन्चिंग

एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग पहले 29 मई को तय थी, फिर तकनीकी कारणों से इसे 8 जून, 10 जून और 11 जून को भी स्थगित किया गया। लेकिन अब स्पेस एक्स और नासा की संयुक्त समीक्षा के बाद यह लॉन्च 19 जून के लिए पुनर्निर्धारित की गई है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अब सभी तकनीकी मुद्दों को सुलझा लिया गया है और मिशन तय समय पर लॉन्च होगा।

राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में दूसरा भारतीय

शुभांशु शुक्ला इस मिशन के साथ आईएसएस पर कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बन जाएंगे। इससे पहले राकेश शर्मा 1984 में सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए थे। शुभांशु का यह मिशन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (Gaganyaan Project) की नींव को और सुदृढ़ करता है।

अंतरराष्ट्रीय दल में शामिल होंगे भारतीय प्रतिनिधि

एक्सिओम स्पेस का यह मिशन पूरी तरह वाणिज्यिक है, जिसमें चार अंतरिक्ष यात्री शामिल होंगे। शुभांशु इस दल में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इस मिशन के दौरान यह दल आईएसएस पर करीब 14 दिन बिताएगा और वैज्ञानिक प्रयोगों, अंतरिक्ष जीवन, और तकनीकी परीक्षणों में भाग लेगा।

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भारत के लिए क्यों है यह मिशन खास?

  • पहली बार कोई भारतीय वाणिज्यिक मिशन के जरिए आईएसएस तक जाएगा।
  • भारत के अंतरिक्ष कौशल और अंतरराष्ट्रीय सहभागिता को नई पहचान मिलेगी।
  • इस मिशन के अनुभव Gaganyaan जैसे भविष्य के स्वदेशी मानव मिशनों में काम आएंगे।

एक्सिओम-4: निजी अंतरिक्ष उड़ानों की दिशा में कदम

एक्सिओम स्पेस एक निजी कंपनी है जो आईएसएस तक वाणिज्यिक मिशन संचालित कर रही है। एक्सिओम-4 कंपनी का चौथा मिशन है, और यह दिखाता है कि भविष्य में अंतरिक्ष यात्राएं केवल सरकारी एजेंसियों तक सीमित नहीं रहेंगी। इस मिशन से निजी और सरकारी भागीदारी के नए अवसर बनेंगे।



शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए गौरव की बात है, बल्कि यह आने वाले वर्षों में मानव अंतरिक्ष उड़ानों में भारत की सशक्त भूमिका की आधारशिला भी साबित होगा।