नई दिल्ली। राऊज एवेन्यू सेशंस कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने आम आदमी पार्टी (आप) की नेता और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना के खिलाफ भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। सेशंस कोर्ट ने मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन को निरस्त कर दिया है।
सेशंस कोर्ट का आदेश
सेशंस कोर्ट ने 22 नवंबर, 2024 को मजिस्ट्रेट कोर्ट के समन आदेश पर रोक लगाई थी। इससे पहले, 30 सितंबर, 2024 को सेशंस कोर्ट ने प्रवीण शंकर कपूर को नोटिस जारी किया था। आतिशी ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सेशंस कोर्ट का रुख किया था।
मामला कैसे शुरू हुआ?
भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आतिशी मार्लेना के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। याचिका में दावा किया गया था कि केजरीवाल और आतिशी ने भाजपा नेताओं पर आरोप लगाया कि उन्हें करोड़ों रुपये लेकर भाजपा में शामिल होने का ऑफर दिया गया था। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह आरोप झूठे और अपमानजनक हैं।
मजिस्ट्रेट कोर्ट का फैसला
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 28 मई, 2024 को प्रवीण शंकर कपूर की मानहानि याचिका पर संज्ञान लेते हुए आतिशी के खिलाफ समन जारी किया था। इसके बाद, 23 जुलाई, 2024 को आतिशी को 20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत भी दी गई थी।
सेशंस कोर्ट में मामला पहुंचा
मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए आतिशी ने सेशंस कोर्ट में अपील दायर की थी। उनकी दलील थी कि मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा समन जारी करने का आदेश सही नहीं था।
अरविंद केजरीवाल पर संज्ञान नहीं
दिलचस्प बात यह है कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस मामले में अभी तक दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ संज्ञान नहीं लिया है।
अदालत का निष्कर्ष
सेशंस कोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट का समन आदेश सही प्रक्रियाओं का पालन नहीं करता। इस कारण समन को निरस्त कर दिया गया।
कानूनी और राजनीतिक प्रभाव
यह फैसला कानूनी और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आप नेता आतिशी के खिलाफ मानहानि के मामले में राहत मिलने से उनकी पार्टी को मजबूती मिली है। दूसरी ओर, भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर के आरोपों पर अब आगे की कानूनी प्रक्रिया का इंतजार रहेगा।
क्या आगे होगा?
भाजपा नेता प्रवीण शंकर कपूर इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी के लिए यह फैसला राहत भरा है। राजनीतिक हलकों में इस फैसले का असर देखने को मिल सकता है, खासकर दिल्ली की राजनीति में।
आगे की कानूनी प्रक्रिया और इस मामले पर अदालत के अगले आदेश पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।