June 6, 2025 11:55 AM

आजादी के बाद पहली बार जातीय जनगणना का फैसला: दो चरणों में होगी प्रक्रिया, ओबीसी आंकड़ों के लिए एक्ट में बदलाव जरूरी

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आजादी के बाद पहली बार जातीय जनगणना का फैसला: दो चरणों में होगी प्रक्रिया


जातीय जनगणना 2026 से दो चरणों में होगी शुरू, ओबीसी के आंकड़ों के लिए जनगणना एक्ट में संशोधन की तैयारी

भारत में आजादी के बाद पहली बार केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह जनगणना दो चरणों में की जाएगी। गृह मंत्रालय ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस फैसले की पुष्टि की और बताया कि जातियों की गिनती के साथ ही जनसंख्या की पारंपरिक गणना भी एक साथ की जाएगी।

पहले फेज की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से

पहले चरण में हिमालयी और सीमावर्ती चार राज्यों—हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में जातीय जनगणना की शुरुआत होगी। इन इलाकों की भौगोलिक और प्रशासनिक विशेषताओं को देखते हुए यहां पहले फेज में कार्य किया जाएगा।

दूसरे फेज की शुरुआत 1 मार्च 2027 से

इसके बाद 1 मार्च 2027 से देश के बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दूसरे चरण की जनगणना प्रक्रिया शुरू होगी। इस बार जातियों की विस्तृत सूची तैयार करने के साथ-साथ जनसंख्या संबंधी बाकी विवरण भी लिए जाएंगे।

गृह मंत्रालय ने संकेत दिया है कि इस ऐतिहासिक प्रक्रिया से संबंधित अधिसूचना 16 जून 2025 को सरकारी गजट में प्रकाशित की जाएगी।

ओबीसी के आंकड़ों के लिए एक्ट में संशोधन जरूरी

फिलहाल जनगणना एक्ट 1948 के तहत सिर्फ अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) की गिनती का प्रावधान है। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की गणना के लिए इस कानून में संशोधन अनिवार्य होगा। इस संशोधन के बाद ही देशभर की लगभग 2,650 ओबीसी जातियों के आंकड़े आधिकारिक रूप से जुटाए जा सकेंगे।

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 1,270 SC और 748 ST जातियां दर्ज हैं। तब SC की आबादी कुल जनसंख्या का 16.6% और ST की 8.6% थी।

2011 की सामाजिक-आर्थिक और जातिगत गणना रह गई अधूरी

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना कराई थी, जिसे ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने मिलकर किया था। हालांकि इस सर्वे के पूर्ण आंकड़े आज तक सार्वजनिक नहीं किए गए। सिर्फ SC-ST से जुड़े हाउसहोल्ड डाटा ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

जनगणना फॉर्म में होंगे नए कॉलम

2011 तक के जनगणना फॉर्म में 29 कॉलम थे, जिनमें शिक्षा, रोजगार, प्रवास, निवास, धर्म और SC-ST की जानकारी ली जाती थी। अब जातीय जनगणना के लिए अतिरिक्त कॉलम जोड़े जाएंगे, जिससे जातियों की श्रेणी और उप-श्रेणियों का विवरण एकत्रित किया जा सके।

राहुल गांधी ने उठाई थी जाति जनगणना की मांग

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सबसे पहले 2023 में जातीय जनगणना की मांग उठाई थी। उन्होंने इसे सामाजिक न्याय से जोड़ते हुए देशभर में कई मंचों पर इस मुद्दे को उठाया। उनका तर्क रहा है कि जब तक सही आंकड़े नहीं होंगे, तब तक आरक्षण और कल्याणकारी योजनाएं प्रभावी नहीं हो सकतीं।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

इस फैसले का राजनीतिक असर भी बड़ा माना जा रहा है। कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी और अन्य विपक्षी दल लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे। अब जब केंद्र सरकार ने इसकी घोषणा कर दी है, तो इसका प्रभाव 2029 के आम चुनाव तक महसूस किया जा सकता है।


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