अटल बिहारी वाजपेयी पुण्यतिथि: पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने किया नमन, जानें उपलब्धियां और जीवन यात्रा
नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि पर पूरा राष्ट्र उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित कई शीर्ष नेताओं ने सदैव अटल स्मारक पहुंचकर उन्हें नमन किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि “अटल जी का सेवाभाव और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनका संकल्प हर भारतीय को आत्मनिर्भर और विकसित भारत के लिए प्रेरित करता रहेगा।”

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा—“अटल जी को उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन। भारत की सर्वांगीण प्रगति के प्रति उनका समर्पण और सेवाभाव सभी को प्रेरित करता रहेगा। सभी देशवासियों की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी जी को उनके स्मारक पर सादर नमन।”
Paid homage to Atal Ji at ‘Sadaiv Atal.’ His life was about unwavering service to the nation. His thoughts and ideals continue to guide India’s journey towards progress. pic.twitter.com/1TiA8BgRa2
— Narendra Modi (@narendramodi) August 16, 2025
श्रद्धांजलि देने वालों में राष्ट्रपति मुर्मू, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राज्यसभा उपसभापति हरिवंश, दिल्ली भाजपा की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल रहे। वहीं, अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने भी उन्हें नमन किया।
President Droupadi Murmu paid homage to former Prime Minister of India, Shri Atal Bihari Vajpayee on his death anniversary at his Samadhi 'Sadaiv Atal' in New Delhi. pic.twitter.com/bfr9TftQAY
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 16, 2025
अटल बिहारी वाजपेयी: राजनीति के आकाश का ध्रुवतारा
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के ऐसे अद्वितीय व्यक्तित्व रहे, जिन्होंने राजनीति को शुचिता, संवाद और सहिष्णुता का स्वरूप दिया। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी संस्कृत के विद्वान थे और माँ कृष्णा देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।

राजनीतिक सफर की शुरुआत
अटल जी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। पत्रकारिता में भी उन्होंने “राष्ट्रधर्म”, “पांचजन्य” और “वीर अर्जुन” जैसे पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपने विचार रखे। 1957 में पहली बार वे बलरामपुर से लोकसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद उनका राजनीतिक जीवन लगातार ऊँचाइयों की ओर बढ़ता गया।
वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे और बाद में भाजपा की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी ओजस्वी वाणी और दूरदर्शी नेतृत्व ने उन्हें राजनीति के हर वर्ग में लोकप्रिय बनाया।

प्रधानमंत्री के रूप में उपलब्धियां
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने—
- पहली बार: 16 मई से 31 मई 1996 (13 दिन)
- दूसरी बार: 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर 1999
- तीसरी बार: 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 (पूर्ण कार्यकाल)
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने गठबंधन सरकार का सफल नेतृत्व किया और विभिन्न विचारधाराओं वाली पार्टियों को साथ लेकर देश का संचालन किया।

ऐतिहासिक निर्णय और उपलब्धियां
- पोखरण परमाणु परीक्षण (1998) – वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत ने पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किए। इसने भारत को विश्व शक्ति के रूप में स्थापित किया।
- लाहौर बस यात्रा (1999) – उन्होंने पाकिस्तान से शांति वार्ता के लिए पहल करते हुए दिल्ली-लाहौर बस सेवा की शुरुआत की और लाहौर गए।
- कारगिल युद्ध (1999) – कारगिल युद्ध के समय उन्होंने दृढ़ नेतृत्व दिखाया और सेना को पूरा सहयोग दिया। भारत ने युद्ध में ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना – गाँवों को जोड़ने के लिए महत्वाकांक्षी योजना शुरू की, जिससे ग्रामीण भारत की तस्वीर बदली।
- स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना – देश में सड़क नेटवर्क को मजबूत करने के लिए यह महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की गई।
- आर्थिक सुधार – वाजपेयी सरकार ने दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी और निजीकरण को बढ़ावा दिया, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिली।

व्यक्तित्व और विशेषताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी विपक्ष के नेताओं के बीच भी लोकप्रिय थे। उनकी ओजस्वी वाणी, उदार दृष्टिकोण और काव्यात्मक शैली ने उन्हें “जनप्रिय नेता” बना दिया। संसद में उनके भाषण आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
वे सिर्फ राजनेता ही नहीं, बल्कि संवेदनशील कवि भी थे। उनकी कविताओं में देशभक्ति और मानवीय संवेदनाएँ स्पष्ट झलकती हैं।

सम्मान और पुरस्कार
- 1992 – पद्म विभूषण
- 1993 – कानपुर विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट
- 1994 – सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार
- 2014 – भारत रत्न की घोषणा
- 2015 – भारत रत्न सम्मान से अलंकृत
निधन और विरासत
16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हुआ। उनका अंतिम संस्कार राष्ट्रीय स्मृति स्थल (सदैव अटल) पर किया गया।
उनकी विरासत केवल राजनीति तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को संवाद, सहिष्णुता और सर्वसमावेशिता की राह दिखाई। वे आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं और उनके विचार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के उस युगपुरुष रहे, जिन्होंने न केवल सरकार चलाई बल्कि राजनीति की संस्कृति भी बदली। वे विपक्ष और सत्ता, दोनों के बीच सेतु बनकर सामने आए। उनकी स्मृतियाँ और विचार आज भी राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देते हैं।
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