July 31, 2025 2:06 PM

17 दिन के अंतरिक्ष मिशन के बाद आज पृथ्वी लौटेंगे शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम, कल दोपहर होगा स्प्लैशडाउन

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भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज ISS से लौटेंगे, कल होगा स्प्लैशडाउन

वॉशिंगटन/नई दिल्ली।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सहित चार एस्ट्रोनॉट आज यानी 14 जुलाई को शाम 4:35 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से पृथ्वी की ओर रवाना होंगे। यह मिशन एक्सियम स्पेस और स्पेसएक्स की साझेदारी में चलाया गया है। करीब 23 घंटे की यात्रा के बाद 15 जुलाई दोपहर करीब 3 बजे उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन करेगा।

यह मिशन सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि विज्ञान, शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का उदाहरण भी बना है। शुभांशु शुक्ला ने इन 17 दिनों के दौरान भारत की ओर से कई अहम वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया और भारत के युवाओं को विज्ञान की ओर प्रेरित किया।


मिशन की प्रमुख बातें:

  • 14 जुलाई दोपहर 2:25 बजे चारों एस्ट्रोनॉट क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में प्रवेश करेंगे और उसके बाद स्पेसक्राफ्ट का हैच बंद किया जाएगा।
  • शाम 4:35 बजे स्पेसक्राफ्ट ISS के हार्मनी मॉड्यूल से अनडॉक करेगा।
  • 15 जुलाई दोपहर करीब 3 बजे यह पृथ्वी पर कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन करेगा।
  • स्पेसक्राफ्ट 263 किलो से ज्यादा वैज्ञानिक कार्गो के साथ लौटेगा, जिसमें NASA का हार्डवेयर और 60 से अधिक प्रयोगों का डेटा शामिल होगा।

शुभांशु शुक्ला का शानदार अंतरिक्ष मिशन

🔬 60 से ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोगों में भागीदारी

शुभांशु ने अंतरिक्ष में 17 दिनों के दौरान 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया। इनमें से 7 प्रयोग भारत से जुड़े थे।

  • उन्होंने मेथी और मूंग जैसे भारतीय बीजों को स्पेस में उगाने का प्रयास किया।
  • स्पेस माइक्रोएल्गी पर भी उन्होंने रिसर्च की, जिससे भविष्‍य में अंतरिक्ष यात्रा के दौरान ऑक्सीजन और भोजन उत्पादन में मदद मिल सकती है।
  • हड्डियों की सेहत पर भी खास अध्ययन किया, जो कम गुरुत्वाकर्षण में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव को समझने में सहायक होगा।

📞 प्रधानमंत्री से बातचीत

28 जून को शुभांशु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ISS से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बात की।
पीएम ने मजाकिया अंदाज में पूछा था, “क्या गाजर का हलवा साथ ले गए थे?” इस पर शुभांशु ने हंसते हुए जवाब दिया, “हां, साथियों के साथ बैठकर खाया।”

📡 भारत के छात्रों और ISRO से संवाद

  • 3, 4 और 8 जुलाई को उन्होंने तिरुवनंतपुरम, बेंगलुरु और लखनऊ के छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से संवाद किया। इस पहल का उद्देश्य छात्रों में STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) के प्रति रुचि जगाना था।
  • 6 जुलाई को उन्होंने ISRO के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और अन्य वैज्ञानिकों से भी संवाद किया, जिसमें भारत के आगामी गगनयान मिशन को लेकर चर्चा हुई।

📷 धरती की तस्वीरें और अनुभव

शुभांशु ने ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की खूबसूरत तस्वीरें लीं। इस मॉड्यूल में सात खिड़कियां हैं, जहां से अंतरिक्ष यात्री सीधे पृथ्वी को देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि, “धरती को अंतरिक्ष से देखना एक आध्यात्मिक अनुभव है। भारत बेहद भव्य नजर आता है।”


“भारत आज भी सारे जहां से अच्छा है” – राकेश शर्मा के डायलॉग को दोहराया

13 जुलाई की शाम हुई विदाई समारोह में शुभांशु भावुक हो गए। उन्होंने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की 1984 की ऐतिहासिक पंक्ति को दोहराते हुए कहा,
“भारत आज भी सारे जहां से अच्छा है।”
उन्होंने कहा, “25 जून को जब मैंने फाल्कन-9 रॉकेट से यात्रा शुरू की, तब अंदाजा नहीं था कि यह सफर इतना अविश्वसनीय होगा। यह सब मेरे पीछे खड़ी वैज्ञानिक टीम की मेहनत का नतीजा है।”


मिशन की शुरुआत कैसे हुई?

  • यह मिशन 25 जून को दोपहर 12 बजे अमेरिका के कैनेडी स्पेस सेंटर से शुरू हुआ था।
  • चारों एस्ट्रोनॉट स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से ड्रैगन कैप्सूल में ISS की ओर रवाना हुए थे।
  • यह प्रक्षेपण 6 बार तकनीकी और मौसम संबंधी कारणों से टाला गया था।
  • 26 जून शाम 4:01 बजे सभी एस्ट्रोनॉट ISS पहुंचे थे।

इस मिशन ने न सिर्फ भारतीय अंतरिक्ष प्रयासों को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाई, बल्कि भारत के युवाओं को भी विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।



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