June 9, 2025 3:54 PM

असम में बाढ़ से धीरे-धीरे राहत, फिर भी 2.6 लाख लोग अब भी संकट में

  • असम में नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे घटने लगा है, जिससे कई जिलों में हालात में सुधार देखा जा रहा

गुवाहाटी। पूर्वोत्तर भारत में कुछ दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बाद अब राहत के संकेत मिलने लगे हैं। असम में नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे घटने लगा है, जिससे कई जिलों में हालात में सुधार देखा जा रहा है। हालांकि अब भी करीब 2.6 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं और 741 गांव जलमग्न हैं।

मानसून की बेरुखी थमने लगी, लेकिन राहत अभी दूर

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के अनुसार, बीते 24 घंटों में राज्य के अधिकतर हिस्सों में कोई नई बारिश नहीं हुई, जिससे हालात में सुधार की उम्मीद बढ़ी है। अधिकारियों का कहना है कि यदि अगले एक-दो दिन और बारिश नहीं होती, तो बाढ़ग्रस्त इलाकों में राहत पहुंचाने का काम तेज़ी से किया जा सकेगा।

सबसे ज्यादा संकट श्रीभूमि, कछार और हैलाकांडी में

राज्य के श्रीभूमि जिले में 1.62 लाख से अधिक लोग, हैलाकांडी में 52,000 और कछार में 36,000 से ज्यादा लोग अब भी बाढ़ से घिरे हुए हैं। प्रशासन ने इन इलाकों में राहत कार्यों को प्राथमिकता दी है।

  • कुल 741 गांव जलमग्न हैं
  • 6,311 हेक्टेयर फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है
  • 1.44 लाख पालतू जानवर प्रभावित हुए हैं

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राहत शिविरों में आश्रय, ज़रूरतमंदों को मदद

ASDMA के अनुसार, राज्य के चार ज़िलों में 130 राहत शिविर और राहत वितरण केंद्र संचालित हो रहे हैं, जहां लगभग 25,000 विस्थापितों को सहायता मिल रही है। बीते 24 घंटों में प्रशासन द्वारा: 262 क्विंटल चावल 46 क्विंटल दाल 21 क्विंटल नमक 2,122 लीटर सरसों तेल वितरित किया गया है।

बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान

बाढ़ के चलते राज्य के कई हिस्सों में सड़कें, पुल, तटबंध और अन्य सार्वजनिक संपत्तियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं। हालांकि अब तक राहत की खबर यह है कि राज्य की कोई भी नदी अब खतरे के निशान से ऊपर नहीं बह रही है।

आगे की रणनीति

राज्य सरकार ने सभी जिला प्रशासन को सतर्क रहने और राहत कार्यों में कोई ढील न बरतने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, कृषि विभाग को नुकसान के आकलन और मुआवज़े की प्रक्रिया तेज़ करने को कहा गया है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, असम में हर साल आने वाली बाढ़ को केवल आपातकालीन राहत से नहीं, बल्कि दीर्घकालीन नदी प्रबंधन, वन संरक्षण और ज़मीनी जल निकासी व्यवस्था में सुधार से ही रोका जा सकता है।

स्वदेश ज्योति के द्वारा
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