अमूल फेडरेशन के नए चेयरमैन बने अशोक चौधरी, डेयरी किसानों को नई दिशा की उम्मीद

गांधीनगर।
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF), जिसे वैश्विक स्तर पर अमूल ब्रांड के रूप में जाना जाता है, को उसका नया चेयरमैन मिल गया है। महेसाणा दूध सागर डेयरी के वर्तमान चेयरमैन अशोक चौधरी को अमूल फेडरेशन का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। चौधरी की नियुक्ति से उत्तर गुजरात के लाखों दुग्ध उत्पादकों में नई आशा जगी है और इस निर्णय को क्षेत्रीय संतुलन और किसानों के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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विसनगर के चित्रोडीपुरा गांव से शुरू हुआ सफर

अशोक चौधरी विसनगर तालुका के चित्रोडीपुरा गांव के मूल निवासी हैं। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और व्यापार क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाई है। उनकी पृष्ठभूमि तकनीकी होने के साथ-साथ सामाजिक और संगठनात्मक कौशल से भरपूर मानी जाती है।

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राजनीतिक और सहकारी क्षेत्र में मजबूत पकड़

चौधरी वर्ष 1995 से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। प्राथमिक सदस्य के रूप में शुरुआत कर उन्होंने संगठन में विभिन्न स्तरों पर कार्य किया। वे 2005 से 2007 तक महेसाणा नगरपालिक के अध्यक्ष भी रहे हैं।
उनका अनुभव केवल राजनीतिक ही नहीं बल्कि सहकारी आंदोलन से भी गहराई से जुड़ा है। 2016 में दूध सागर डेयरी के निदेशक बने और 2021 से चेयरमैन के रूप में सेवा दे रहे हैं।

डेयरी क्षेत्र में नवाचार और सुधार

अपने कार्यकाल के दौरान अशोक चौधरी ने दूध सागर डेयरी में तकनीकी सुधारों और किसानों के लिए लाभकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया। डेयरी क्षेत्र में प्रसंस्करण तकनीक, आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता, और उत्पादक किसानों को उचित मूल्य दिलाने की दिशा में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किए हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित

अशोक चौधरी को वर्ष 2024 में अमेरिका की इंटरनेशनल को-ऑपरेटिव चैंपियनशिप द्वारा सम्मानित किया गया, जो उनके कार्यों को वैश्विक मान्यता प्रदान करता है। यह सम्मान भारत के सहकारी आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान देता है।

अमूल फेडरेशन को नई दिशा की उम्मीद

अमूल फेडरेशन भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी दुग्ध सहकारी संस्था मानी जाती है। इसमें गुजरात की 18 दुग्ध सहकारी यूनियनें शामिल हैं। अशोक चौधरी की नियुक्ति को संगठन के अंदरूनी संतुलन, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और दुग्ध उत्पादक किसानों की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

उनकी प्रशासनिक क्षमता और तकनीकी समझ अमूल जैसे संस्थान को आधुनिकता, पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध हो सकती है।



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