उच्च न्यायालय से आसाराम को बड़ा झटका, अंतरिम जमानत नहीं बढ़ेगी
जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को एक बड़ा झटका देते हुए उनकी अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी है। अदालत के इस निर्णय के बाद अब आसाराम को फिर से जोधपुर की सेंट्रल जेल में सरेंडर करना होगा।
अदालत में क्या हुआ?
आसाराम ने अपनी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की मांग की थी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने की।
कोर्ट ने 29 अगस्त तक उन्हें अस्थायी राहत देते हुए अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में जांच कराने का आदेश दिया था। साथ ही, तीन वरिष्ठ चिकित्सकों का एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें दो कार्डियोलॉजिस्ट और एक न्यूरोलॉजिस्ट शामिल थे। इस मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ई-मेल के माध्यम से न्यायिक पंजीयक को भेजा जाना था।
मेडिकल रिपोर्ट के बाद कोर्ट का निर्णय
बुधवार को हुई सुनवाई में अदालत ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का अध्ययन किया। रिपोर्ट में आसाराम की सेहत को लेकर कोई ऐसी गंभीर स्थिति नहीं पाई गई, जिसके आधार पर जमानत की अवधि और बढ़ाई जा सके। अदालत ने यह भी माना कि अब उन्हें जेल वापस भेजना उचित होगा।
लगातार जेल से बाहर थे आसाराम
जनवरी 2025 के तीसरे सप्ताह से आसाराम लगातार जेल से बाहर थे। विभिन्न चिकित्सकीय कारणों के चलते उन्हें अंतरिम जमानत मिलती रही थी। लेकिन इस बार कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया।
पीड़िता और समाज की प्रतिक्रिया
कोर्ट के इस फैसले को पीड़िता पक्ष और समाज के कई वर्गों ने न्यायोचित बताया है। उनका कहना है कि बार-बार जमानत बढ़ाने से कानून का संदेश गलत जाता है। वहीं, आसाराम के समर्थक इस फैसले से निराश नजर आ रहे हैं और इसे कठोर बताया है।
पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि आसाराम पर नाबालिग से दुष्कर्म का गंभीर आरोप सिद्ध हुआ है और वह उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। पिछले वर्षों में उन्होंने कई बार स्वास्थ्य कारणों से राहत पाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें स्थायी राहत नहीं मिल सकी।
इस ताज़ा फैसले से यह साफ हो गया है कि अदालत अब बार-बार दी जाने वाली राहत पर रोक लगाने के मूड में है और उन्हें फिर से जेल भेजा जाएगा।
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