जोधपुर।
नाबालिग छात्रा से यौन शोषण के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू को एक बार फिर स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम राहत मिली है। गुजरात हाईकोर्ट के बाद अब राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी उनकी अंतरिम जमानत की अवधि 30 जून तक बढ़ा दी है।
यह फैसला सोमवार को लम्बी सुनवाई के बाद सुनाया गया, जिसमें कोर्ट ने आसाराम की गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह राहत दी।
क्या है मामला?
आसाराम को वर्ष 2013 में उनके ही गुरुकुल में पढ़ने वाली नाबालिग छात्रा से यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2018 में जोधपुर की विशेष POCSO कोर्ट ने उन्हें इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तब से आसाराम जोधपुर की जेल में बंद हैं और कई बार स्वास्थ्य का हवाला देते हुए जमानत याचिकाएं दायर कर चुके हैं।
हाल ही में उन्हें अस्थायी चिकित्सा देखभाल के लिए कुछ समय की अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसकी अवधि समाप्त होने पर उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया। इसके बाद उनकी ओर से फिर से अंतरिम जमानत बढ़ाने की अर्जी दाखिल की गई, जिस पर अब राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राहत दी है।
गुजरात हाईकोर्ट ने पहले ही दी थी जमानत अवधि बढ़ाने की मंजूरी
इससे पहले गुजरात उच्च न्यायालय ने भी आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए 30 जून तक अंतरिम जमानत की मंजूरी दी थी। अब राजस्थान हाईकोर्ट से भी यही राहत मिलने के बाद आसाराम को दोनों राज्यों से समान समयावधि तक अंतरिम राहत मिल चुकी है।
स्वास्थ्य मुद्दा या कानूनी रणनीति?
हालांकि आसाराम की ओर से बार-बार स्वास्थ्य के आधार पर जमानत की याचिकाएं दायर की जाती रही हैं, लेकिन पीड़िता पक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता इन याचिकाओं को कानूनी प्रक्रिया को लंबा खींचने की कोशिश मानते हैं। वहीं, आसाराम के वकीलों का कहना है कि उनकी उम्र और बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए यह राहत न्यायसंगत है।
आगे क्या?
30 जून तक की यह राहत अस्थायी है। उसके बाद अदालत को पुनः इस मुद्दे पर सुनवाई करनी होगी कि क्या जमानत की अवधि और बढ़ाई जाए या उन्हें फिर जेल भेजा जाए। यह मामला अब भी संवेदनशील बना हुआ है और पीड़िता पक्ष की ओर से लगातार न्याय में देरी को लेकर चिंता जताई जाती रही है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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