अमेरिका ने खत्म कराई 37 साल पुरानी आर्मेनिया-अजरबैजान जंग, बनेगा ‘ट्रम्प रूट’
वॉशिंगटन डीसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को ऐतिहासिक शांति समझौते की घोषणा करते हुए दावा किया कि उन्होंने आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 37 साल पुराना संघर्ष खत्म करवा दिया है। अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिन्यान ने वॉशिंगटन डीसी में ट्रम्प की मौजूदगी में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।
समझौते के तहत दोनों देशों ने विवादित क्षेत्र में एक ट्रांजिट कॉरिडोर बनाने पर सहमति दी है, जिसे “ट्रम्प रूट फॉर इंटरनेशनल पीस एंड प्रॉस्पेरिटी” नाम दिया गया है। यह कॉरिडोर अजरबैजान को उसके नखचिवान एंक्लेव से जोड़ेगा, जो आर्मेनिया से होकर गुजरेगा।

ट्रम्प को नोबेल पुरस्कार की मांग
दोनों देशों के नेताओं ने ट्रम्प और उनकी टीम की सराहना करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान ट्रम्प ने दावा किया कि वे पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच एक बड़े संघर्ष को रोक चुके हैं। उनका कहना है कि आर्मेनिया-अजरबैजान के अलावा वे अब तक दुनिया में 6 अन्य युद्ध समाप्त करवा चुके हैं।
ट्रम्प रूट पर बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट
ट्रम्प प्रशासन ने इस साल की शुरुआत में वार्ता शुरू की थी। अब इस कॉरिडोर पर रेलवे, तेल और गैस पाइपलाइन तथा फाइबर ऑप्टिक लाइन विकसित करने की योजना है। इसके साथ ही ऊर्जा, तकनीक और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में अमेरिका के साथ नए सहयोग समझौते भी किए गए हैं।
आर्मेनिया और अजरबैजान ने ओएससीई मिन्स्क ग्रुप को भंग करने की भी मांग की है। यह समूह 1990 के दशक से रूस, फ्रांस और अमेरिका की अगुआई में इस विवाद का मध्यस्थ था।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ट्रम्प ने इस समझौते को “पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक दिन” बताया। उन्होंने याद दिलाया कि यह विवाद 1988 में शुरू हुआ था, जब नागोर्नो-काराबाख की संसद ने आर्मेनिया के साथ जुड़ने का निर्णय लिया।
- 1920 के दशक में सोवियत संघ ने आर्मेनिया और अजरबैजान को अपने नियंत्रण में ले लिया था।
- 1980 के दशक में सोवियत शासन कमजोर हुआ और 1988 में नागोर्नो-काराबाख मुद्दे ने जोर पकड़ा।
- 1991 में दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़पें हुईं।
- धार्मिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं — आर्मेनियाई ईसाई और अजरबैजानी तुर्क मूल के मुस्लिम — ने टकराव को और गहरा कर दिया।
- दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए।