- वास्तु शास्त्र में तुलसी को बताया गया है लक्ष्मी का स्वरूप, लेकिन इन बातों की अनदेखी न करें
भारतीय संस्कृति में तुलसी सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि श्रद्धा, शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। आयुर्वेद में जहां इसे औषधीय गुणों के लिए जाना गया है, वहीं वास्तु शास्त्र में इसे घर की ऊर्जा को नियंत्रित और सकारात्मक बनाने वाली शक्ति माना गया है। लेकिन तुलसी लगाने का भी एक सही तरीका और दिशा होती है, वरना इसके शुभ प्रभाव कम हो सकते हैं।
उत्तर-पूर्व दिशा क्यों मानी जाती है सबसे शुभ?
वास्तु के अनुसार, तुलसी का पौधा उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में लगाना सबसे ज्यादा शुभ होता है। यह दिशा ब्रह्मा, विष्णु और शिव का क्षेत्र मानी जाती है। यहां तुलसी का होना धन, स्वास्थ्य और सुख की वृद्धि करता है।
अगर इस दिशा में स्थान उपलब्ध नहीं है, तो पूर्व दिशा भी एक अच्छा विकल्प मानी जाती है।
तुलसी की देखभाल के नियम, जिनसे बढ़ती है ऊर्जा
- तुलसी का पौधा हमेशा हरा-भरा और स्वच्छ रहना चाहिए।
- मुरझाए या सूखे पत्ते नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं, इसलिए इन्हें समय-समय पर हटा दें।
- गमला हमेशा साफ और ऊंचाई पर रखें ताकि सूर्य की रोशनी सीधे पहुंचे।
- तुलसी के आसपास कभी झाड़ू, जूते, चप्पल या कूड़ादान न रखें, यह अपवित्रता फैलाता है।
तुलसी पूजन का वास्तुशास्त्रीय महत्व
हर दिन प्रातः स्नान के बाद तुलसी को जल अर्पण करें। इसके साथ घी का दीपक जलाएं और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का उच्चारण करें। तुलसी की 11 या 21 बार परिक्रमा करना सकारात्मक कंपन को और बढ़ाता है।

इन बातों का विशेष ध्यान रखें
- रविवार और एकादशी को तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, यह अशुभ माना जाता है।
- तुलसी को मुख्य द्वार की सीध में या दहलीज पर न रखें। यह ऊर्जा के प्रवेश को बाधित कर सकता है।
- तुलसी के नीचे दीपक जलाना और धूप-दीप करना घर की नकारात्मकता को दूर करता है।
केवल धार्मिक नहीं, वैज्ञानिक लाभ भी देती है तुलसी
तुलसी की उपस्थिति से घर के वातावरण में ऑक्सीजन स्तर बेहतर रहता है और यह कीटाणुनाशक भी मानी जाती है। तुलसी की सुगंध वातावरण को शुद्ध करती है और मानसिक तनाव भी कम करती है।

क्यों माना जाता है तुलसी को लक्ष्मी का रूप?
पुराणों के अनुसार, तुलसी माता विष्णु प्रिया लक्ष्मी का ही रूप मानी जाती हैं। इसलिए घर में तुलसी होना, मां लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक होता है। लेकिन यह तभी फलदायी होता है जब इसे सम्मानपूर्वक, शुद्धता से और नियमित देखभाल के साथ रखा जाए।