नेहरू से मनमोहन तक जो नहीं कर पाए, मोदी ने कर दिखाया
स्वदेश ज्योति ब्यूरो, नई दिल्ली
कश्मीर घाटी को भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ने का सपना आखिरकार साकार हो गया है। अप्रैल 2025 में पहली बार यात्री ट्रेन श्रीनगर तक पहुंचेगी। यह ऐतिहासिक उपलब्धि देश के सबसे कठिन रेलवे प्रोजेक्ट में से एक मानी जा रही है, जिसे पूरा करने में कई दशकों का समय लग गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 अप्रैल को कटरा से श्रीनगर के लिए पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने वाले हैं। इस दौरान वे दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल, चेनाब ब्रिज का भी दौरा करेंगे, जिसने इस रेल लिंक को संभव बनाया।
🚆 ऐतिहासिक सफर की मुख्य बातें:
✅ 19 अप्रैल से कटरा-श्रीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू
✅ दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल, चेनाब ब्रिज से गुजरेगी ट्रेन
✅ 111 किमी के रूट में 104 किमी सुरंगों और पुलों से तैयार
✅ 41,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ प्रोजेक्ट
✅ कोंकण रेलवे और इरकॉन ने किया निर्माण में सहयोग
कश्मीर में पहली बार दौड़ेगी ट्रेन
अब तक कश्मीर घाटी में केवल बनिहाल से बारामूला तक लोकल ट्रेनें चलाई जा रही थीं, लेकिन घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने के लिए कटरा से बनिहाल के बीच रेलवे ट्रैक बिछाना सबसे बड़ी चुनौती थी। इस 111 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग का अधिकांश हिस्सा सुरंगों और पुलों से होकर गुजरता है, जिससे निर्माण कार्य बेहद जटिल था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस प्रोजेक्ट को गति मिली और अब 2025 में यह ऐतिहासिक सफर पूरा होने जा रहा है। रेल मंत्रालय के मुताबिक, पहले कटरा-श्रीनगर रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाई जाएगी और जल्द ही जम्मू से श्रीनगर तक सीधी ट्रेन सेवा भी शुरू की जाएगी। भविष्य में दिल्ली से श्रीनगर तक ट्रेनों का संचालन संभव होगा।
🚉 चेनाब ब्रिज – दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल
इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा आकर्षण चेनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल है। यह कुतुब मीनार से पांच गुना ऊंचा (359 मीटर) है और इसकी इंजीनियरिंग किसी अजूबे से कम नहीं है। इस पुल ने कश्मीर घाटी को रेल नेटवर्क से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री मोदी खुद इस पुल का दौरा करेंगे और वहां से देश को संबोधित करेंगे।
जम्मू-कश्मीर बना अलग रेल डिवीजन
इस परियोजना के तहत जम्मू-कश्मीर को अलग रेलवे डिवीजन के रूप में भी स्थापित किया गया है। पहले यह फिरोजपुर डिवीजन के अंतर्गत आता था, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर का खुद का रेलवे डिवीजन होगा, जिससे स्थानीय स्तर पर रेलवे का संचालन और विकास तेज होगा।
मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर भारत को भी रेल नेटवर्क से जोड़ा
- 2014 में मेघालय
- 2021 में मणिपुर
- 2025 में मिजोरम की राजधानी आइजोल
अब कश्मीर भी इस ऐतिहासिक कड़ी में जुड़ गया है।
🚅 यात्रियों के लिए सुविधाएं और सुरक्षा
- एयरपोर्ट जैसी सुरक्षा व्यवस्था: यात्रियों की सुरक्षा के लिए आधुनिक स्कैनिंग और चेकिंग सिस्टम लगाया गया है।
- हीटिंग सिस्टम वाली ट्रेनें: ठंड को देखते हुए ट्रेनों में विशेष हीटिंग सिस्टम लगाया गया है।
- ब्रॉडगेज लाइन: जम्मू-कश्मीर के रेलवे ट्रैक को ब्रॉडगेज में बदलकर तेज रफ्तार ट्रेनों के लिए अनुकूल बनाया गया है।
राष्ट्रीय एकता की ओर बड़ा कदम
यह रेलवे प्रोजेक्ट केवल यात्रा को आसान बनाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। यह न केवल कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ेगा, बल्कि व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के तहत भारत के सुदूरवर्ती क्षेत्रों को रेल नेटवर्क से जोड़ने की जो योजना बनाई गई थी, वह अब पूरी होती नजर आ रही है।
🚆 19 अप्रैल को ऐतिहासिक यात्रा का गवाह बनें!
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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