October 25, 2025 12:59 PM

अंशुल गर्ग ने दिखाया नया रास्ता: आज के सिनेमा में स्टार नहीं, कहानी है असली हीरो

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  • एक दीवाने की दीवानियत’ के साथ डेब्यू प्रोड्यूसर अंशुल गर्ग ने तोड़ा बॉलीवुड का स्टारडम मिथक — कंटेंट, संगीत और भावनाओं से रचा नया ट्रेंड

मुंबई। जब बॉलीवुड में सफलता का समीकरण अक्सर “बड़ा नाम = बड़ी हिट” माना जाता है, वहीं डेब्यू प्रोड्यूसर अंशुल गर्ग ने यह मिथक तोड़ दिया है। अपनी पहली फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ के जरिए उन्होंने साबित किया कि स्टारडम नहीं, बल्कि सच्चा कंटेंट ही असली नायक है। गर्ग, जो भारतीय इंडी म्यूज़िक इंडस्ट्री में पहले से ही एक बड़ा नाम हैं, ने फिल्म निर्माण में भी वही मंत्र अपनाया — “दिल से निकली कहानी, सच्चे कलाकार और आत्मा छू लेने वाला संगीत।”


बिना बड़े नामों के भी बड़ी सफलता

देसी म्यूज़िक फैक्ट्री (DMF) और प्ले DMF जैसे लोकप्रिय लेबल्स के संस्थापक अंशुल गर्ग ने पहली बार प्रोडक्शन की कमान संभाली और निर्देशक मिलाप मिलन ज़वेरी के साथ मिलकर ‘एक दीवाने की दीवानियत’ को बनाया।
फिल्म में हर्षवर्धन राणे और सोनम बाजवा जैसे टैलेंटेड कलाकारों ने अभिनय किया — कोई “सुपरस्टार” नहीं, लेकिन हर फ्रेम में दिल से भरा प्रदर्शन
21 अक्टूबर 2025 को दिवाली के मौके पर रिलीज़ हुई यह फिल्म दर्शकों के दिलों को जीत रही है — न चकाचौंध, न मार्केटिंग शोर, बस एक सच्ची कहानी और असरदार म्यूज़िक।


“दर्शक अब समझदार हैं, उन्हें बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता” — अंशुल गर्ग

अपने क्रिएटिव विज़न पर बात करते हुए अंशुल गर्ग ने कहा,

“आज के दर्शक बहुत जागरूक हैं। उन्हें पता है कि उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं। अब सिर्फ बड़े नामों से टिकट नहीं बिकते — कहानी को सच्चा होना चाहिए।
मैं हमेशा वही फिल्म बनाऊँगा जो मेरे दिल को छुए, न कि वह जो सिर्फ बिके।”

उन्होंने आगे कहा कि अब फिल्में “फॉर्मूला” से नहीं बल्कि भावनाओं और ईमानदारी से चलती हैं।


“संगीत मेरे खून में है” — गर्ग का म्यूज़िक से जुड़ाव

अंशुल गर्ग का कहना है कि संगीत उनके जीवन का अहम हिस्सा है, और हर फिल्म की आत्मा उसकी धुनों में बसती है।

“संगीत मेरे खून में है, यही मेरी पहचान है। जब कहानी और संगीत एक साथ बहते हैं, तो जादू होता है।”

‘एक दीवाने की दीवानियत’ के संगीत ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ा — हर गीत कहानी का विस्तार महसूस होता है, न कि सिर्फ एक गाना।


नया दौर: जहाँ कंटेंट ही स्टार है

‘एक दीवाने की दीवानियत’ की सफलता ने फिल्म इंडस्ट्री में एक बड़ा संदेश दिया है — कि अब दर्शक ही तय करेंगे कि कौन चलेगा।
अंशुल गर्ग जैसे नए निर्माता यह समझ चुके हैं कि कंटेंट, क्राफ्ट और कमर्शियल समझ अगर साथ हो, तो बिना स्टारडम के भी सिनेमा चमक सकता है।

समीक्षकों का कहना है कि यह फिल्म “नई पीढ़ी के सिनेमा” की शुरुआत का प्रतीक है — जहाँ भावना, यथार्थ और कला का संतुलन है, और जहाँ हर कलाकार अपनी भूमिका को “दिल से जीता” है।


अंशुल गर्ग की सोच बदल रही है बॉलीवुड की दिशा

फिल्म समीक्षक और ट्रेड विश्लेषक इस बात से सहमत हैं कि अंशुल गर्ग का विज़न “संगीत और सिनेमा को एक साझा भावनात्मक भाषा” के रूप में पेश करता है।
उनकी सोच ने यह साबित किया है कि आने वाले वर्षों में भारतीय सिनेमा का भविष्य कहानियों और भावनाओं की सच्चाई पर टिका रहेगा, न कि सिर्फ ग्लैमर पर।


एक नई मिसाल

‘एक दीवाने की दीवानियत’ न केवल एक रोमांटिक फिल्म है बल्कि यकीन, हिम्मत और ईमानदारी की कहानी है — पर्दे के पीछे और पर्दे पर दोनों जगह।
अंशुल गर्ग ने अपने पहले ही प्रोडक्शन से यह संदेश दे दिया है कि “सच्ची कहानियाँ कभी पुरानी नहीं होतीं।”

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