- भाजपा नेता और पूर्व राज्यमंत्री के बेटे पुलकित आर्य सहित तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
कोटद्वार। उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय की उम्मीद जगी है। लगभग तीन वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोटद्वार जिला सत्र न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा नेता और पूर्व राज्यमंत्री के बेटे पुलकित आर्य सहित तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
रिसॉर्ट में काम करती थी अंकिता, मालिक ही निकला अपराधी
19 वर्षीय अंकिता भंडारी ऋषिकेश के निकट वनंत्रा रिसॉर्ट में बतौर रिसेप्शनिस्ट कार्यरत थी। 18 सितंबर 2022 की रात वह अचानक लापता हो गई थी। प्रारंभ में परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, और उसके सहयोगियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर शक गहराता गया।
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झूठी कहानी गढ़कर दबाने की कोशिश, लेकिन सामने आया सच
शुरुआती पूछताछ में पुलकित ने दावा किया था कि अंकिता मानसिक तनाव में थी और वह उसे घुमाने ले गया था। लेकिन पुलिस जांच में यह कहानी झूठी निकली। जांच में सामने आया कि अंकिता पर रिसॉर्ट के मेहमानों को "स्पेशल सर्विस" देने का दबाव बनाया जा रहा था। जब उसने इनकार किया तो झगड़ा हुआ और उसी रात उसे चिल्ला नहर में धक्का देकर मार डाला गया।
पिता ने मांगा था फांसी, कोर्ट ने दी उम्रकैद
अंकिता के पिता वीरेन्द्र सिंह भंडारी ने अदालत से आरोपियों को फांसी देने की मांग की थी। उनका कहना था कि— "मेरी बेटी निर्दोष थी, उसकी हत्या योजनाबद्ध तरीके से की गई। ऐसे दरिंदों को जीने का हक नहीं है।" हालांकि, अदालत ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
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न्याय की राह कठिन, पर उम्मीद कायम
यह मामला पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा और प्रभावशाली लोगों की जवाबदेही पर गंभीर बहस का कारण बना था। उत्तराखंड की जनता और अंकिता के परिजनों ने लगातार न्याय की मांग की। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक विरोध हुआ। देर से सही, लेकिन अब इस फैसले से न्याय व्यवस्था में लोगों का भरोसा फिर मजबूत हुआ है।
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