अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ीं : SBI के बाद बैंक ऑफ इंडिया ने भी आरकॉम को फ्रॉड खाता घोषित किया

नई दिल्ली। उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाद अब सरकारी स्वामित्व वाले बैंक ऑफ इंडिया ने भी आरकॉम के ऋण खाते को ‘फ्रॉड’ यानी धोखाधड़ी वाला खाता घोषित कर दिया है। बैंक ने पूर्व निदेशक अनिल अंबानी और मंजरी अशोक कक्कड़ के नाम को भी सीधे तौर पर इस प्रकरण में शामिल किया है।


700 करोड़ का ऋण और कथित गड़बड़ी

बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2016 में रिलायंस कम्युनिकेशंस को 700 करोड़ रुपये का ऋण चालू पूंजीगत जरूरतों, परिचालन व्यय और मौजूदा देनदारियों के भुगतान के लिए स्वीकृत किया था। लेकिन नियामकीय फाइलिंग के अनुसार, इस ऋण राशि के उपयोग में कथित गड़बड़ियां सामने आईं।

अक्तूबर 2016 में वितरित किए गए इस ऋण का आधा हिस्सा सावधि जमा (Fixed Deposit) में निवेश कर दिया गया था। यह निवेश बैंक की स्वीकृति शर्तों के बिल्कुल खिलाफ था। स्वीकृति पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि यह राशि केवल परिचालन खर्च और देनदारियों के भुगतान में ही इस्तेमाल की जाएगी।


बैंक का आरोप : धन का दुरुपयोग

बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि ऋण की शर्तों का उल्लंघन हुआ और धन का दुरुपयोग किया गया। यही वजह है कि इस खाते को धोखाधड़ी वाला घोषित किया गया है। बैंक ने यह भी बताया कि

  • 22 अगस्त को आरकॉम को आधिकारिक रूप से पत्र भेजा गया।
  • इस पत्र में 8 अगस्त के निर्णय का हवाला दिया गया, जिसमें कंपनी, अनिल अंबानी और मंजरी अशोक कक्कड़ के ऋण खातों को धोखाधड़ी वाला घोषित किया गया।

पहले भी लग चुका है आरोप : एसबीआई का फैसला

यह पहला मामला नहीं है जब आरकॉम पर ऐसे आरोप लगे हों। जून 2023 में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने भी इसी तरह का कदम उठाते हुए आरकॉम के खाते को फ्रॉड घोषित किया था। एसबीआई ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने ऋण की शर्तों का उल्लंघन कर बैंक के धन की हेराफेरी की।


दिवालिया प्रक्रिया में है आरकॉम

रिलायंस कम्युनिकेशंस पहले ही दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। कंपनी पर हजारों करोड़ रुपये का कर्ज है और ऋणदाताओं की वसूली की प्रक्रिया राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के तहत चल रही है। ऐसे में लगातार बैंकों द्वारा कंपनी को धोखाधड़ी वाला घोषित किया जाना, इसके कर्ज समाधान की प्रक्रिया को और जटिल बना रहा है।


अनिल अंबानी पर बढ़ा दबाव

अनिल अंबानी कभी देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में गिने जाते थे, लेकिन पिछले एक दशक में उनका व्यावसायिक साम्राज्य ढह गया। अब उन पर व्यक्तिगत रूप से भी जिम्मेदारी तय होती दिख रही है।

  • बैंक ऑफ इंडिया और एसबीआई दोनों ने स्पष्ट कर दिया है कि पूर्व निदेशक होने के नाते अनिल अंबानी को भी इस मामले में शामिल किया गया है।
  • अगर मामले की जांच आगे बढ़ती है तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई (CBI) जैसी एजेंसियों की कार्यवाही की आशंका भी बढ़ सकती है।

विशेषज्ञों की राय

आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि बैंकों द्वारा लगातार “फ्रॉड” घोषित किए जाने से कंपनी के खिलाफ कानूनी और वित्तीय कार्रवाई तेज हो सकती है। इससे अन्य बैंकों और निवेशकों का भी भरोसा खत्म होगा। साथ ही, दिवालिया प्रक्रिया और लंबी खिंच सकती है।


निष्कर्ष

एसबीआई के बाद अब बैंक ऑफ इंडिया द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस और अनिल अंबानी पर ‘फ्रॉड’ का ठप्पा लगना, उद्योगपति की मुश्किलें और बढ़ा सकता है। यह मामला सिर्फ एक कॉर्पोरेट विवाद नहीं, बल्कि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में ऋण अनुशासन और निगरानी पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि जांच एजेंसियां और अदालतें इस मामले को किस दिशा में ले जाती हैं।