भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात और युद्धविराम की घोषणा के बाद बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन ने मौन तोड़ा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर उनकी चुप्पी को लेकर उठे सवालों के बीच बिग बी ने अब लगातार दूसरी बार इस विषय पर प्रतिक्रिया दी है। शनिवार देर रात और फिर रविवार को उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट साझा कर भारत-पाकिस्तान के बीच उपजे हालात और देशभक्ति की भावना पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।

तुलसीदास की चौपाई से दी वीरता की परिभाषा

अमिताभ बच्चन ने रविवार देर रात अपने पोस्ट में तुलसीदास कृत रामचरितमानस की एक प्रसिद्ध चौपाई का हवाला दिया –
"सूर समर करनी करहिं, कहि न जनावहिं आप।"
उन्होंने इसका अर्थ समझाते हुए लिखा कि "शूरवीर अपनी वीरता का बखान नहीं करते, बल्कि युद्ध में उसे करके दिखाते हैं।" यह चौपाई रामचरितमानस के लक्ष्मण और परशुराम संवाद से ली गई है। बिग बी ने इसे मौजूदा परिस्थितियों से जोड़ते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि देश की सेना और वीर जवान बिना बोले, अपने साहस और बलिदान से दुश्मन को जवाब देते हैं।

पिता हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियाँ फिर से प्रासंगिक

अपने पोस्ट में बच्चन ने अपने पिता और महान कवि हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियों का भी जिक्र किया, जो 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय लिखी गई थीं। उन्होंने लिखा कि ये कविताएं और उनमें समाहित दृष्टिकोण आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 60 साल पहले थे। बच्चन ने इस बात को रेखांकित किया कि उनके पिता को उस कालजयी रचना के लिए 1968 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

आलोचनाओं के बाद सामने आए बिग बी

गौरतलब है कि हाल के दिनों में अमिताभ बच्चन की चुप्पी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी आलोचनाएं हुई थीं। कई यूज़र्स ने सवाल उठाया कि जब पूरा देश पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाक तनाव से आहत था, तब इतने बड़े सार्वजनिक व्यक्तित्व की ओर से कोई बयान क्यों नहीं आया। अब जब हालात सामान्य हो रहे हैं और सीज़फायर की स्थिति बन चुकी है, तब अमिताभ बच्चन का यह हस्तक्षेप कई लोगों को संतुलित और प्रेरणास्पद प्रतीत हो रहा है।

पहले भी साझा की थी बाबूजी की कविता

कुछ दिन पहले बिग बी ने एक तस्वीर साझा की थी, जिसमें हरिवंश राय बच्चन की एक प्रेरक कविता की पंक्तियाँ लिखी थीं। उन्होंने उस पोस्ट में भी युद्ध, वीरता और भारतीय सेना के अदम्य साहस का समर्थन किया था। उनका यह साहित्यिक और भावनात्मक हस्तक्षेप बताता है कि वे राजनीति या बयानबाज़ी में नहीं, बल्कि अपने तरीके से देशप्रेम व्यक्त करना पसंद करते हैं।


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