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May 17, 2025 12:08 PM

‘आहार ही औषधि है’ का सिद्धांत वैश्विक स्तर पर अपनाया जा रहा है: अमित शाह ने विश्व यकृत दिवस पर दिया स्वास्थ्य मंत्र

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नई दिल्ली।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को विश्व यकृत दिवस के अवसर पर आयोजित ‘स्वस्थ लिवर-स्वस्थ भारत’ कार्यक्रम में भाग लेते हुए भारतीय परंपरा और आधुनिक स्वास्थ्य विज्ञान के समन्वय पर जोर दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि “हमारे वेदों में ‘आहार ही औषधि है’ कहा गया है और आज पूरा विश्व इसी मंत्र को स्वीकार करके आगे बढ़ रहा है।”

यह आयोजन नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (ILBS) द्वारा किया गया था। कार्यक्रम में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता समेत कई विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।

अमित शाह ने साझा किया व्यक्तिगत अनुभव

गृहमंत्री ने अपने जीवन के बदलावों को साझा करते हुए कहा कि मई 2020 से उनके जीवन में एक बड़ा परिवर्तन आया, जब उन्होंने अपने आहार, जल सेवन, व्यायाम और नींद पर ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने बताया कि आज भी वे कोई दवा या इंसुलिन नहीं लेते, और अपने बेहतर स्वास्थ्य का श्रेय प्राकृतिक जीवनशैली को देते हैं।

शाह ने युवाओं से अपील की कि वे नियमित शारीरिक गतिविधि, पर्याप्त नींद और संतुलित आहार को अपनी दिनचर्या में शामिल करें, क्योंकि यही दीर्घायु और निरोग जीवन की कुंजी है। उन्होंने कहा, “स्वस्थ जीवनशैली की जिम्मेदारी आपकी है, लेकिन देश के नागरिकों के स्वास्थ्य की चिंता करना मोदी सरकार की जिम्मेदारी है।”

सीएसआर से स्वास्थ्य को जोड़ने की अपील

गृहमंत्री ने कॉर्पोरेट जगत से अपील की कि वे अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) पहलों के अंतर्गत स्वस्थ लिवर के प्रचार-प्रसार को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि जो संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं, उन्हें हरसंभव सहयोग मिलना चाहिए।

यकृत स्वास्थ्य के लिए नई योजना ‘HEALED’ का शुभारंभ

इस अवसर पर ILBS द्वारा HEALED योजना की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य देशभर में यकृत को लेकर जागरूकता फैलाना है। शाह ने कहा कि यह एक अभिनव पहल है जो लोगों को नियमित जांच, विटामिन ई की जांच और लिवर की देखभाल के लिए प्रोत्साहित करेगी।

गृहमंत्री ने लोगों से विश्व यकृत दिवस पर यह संकल्प लेने को कहा कि वे अपने यकृत स्वास्थ्य को प्राथमिकता देंगे और नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहेंगे।

यह कार्यक्रम न केवल स्वास्थ्य के प्रति सजगता का संदेश देता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की प्राकृतिक जीवन शैली की वैश्विक स्वीकार्यता को भी रेखांकित करता है।



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