अमित शाह का विपक्ष पर वार: जेल से सरकार चलाना लोकतंत्र के खिलाफ
विपक्ष और गांधी परिवार पर साधा निशाना
नई दिल्ली।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष के विरोध को कड़ी आलोचना का निशाना बनाया। उन्होंने विपक्षी दलों और खासतौर पर कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष यह दिखाना चाहता है कि देश उस व्यक्ति के बिना नहीं चल सकता, जो जेल में बंद है। शाह ने सवाल
उठाया कि क्या कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या बड़ा नेता जेल में रहते हुए लोकतांत्रिक ढांचे के अनुरूप सरकार चला सकता है?
“क्या जेल से सरकार चलाना लोकतंत्र के अनुकूल है?”
अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि कुछ विपक्षी नेता ऐसी स्थिति बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे जेल से भी शासन चलाना संभव हो। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि जेल को ही प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का आवास बना दिया जाएगा और फिर वहीं से आदेश जारी होंगे। उन्होंने कहा—
“क्या यह लोकतंत्र की गरिमा के अनुकूल है कि डीजीपी, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव या गृह सचिव किसी जेल से आदेश लें?”
गृह मंत्री ने साफ किया कि भाजपा और वह स्वयं इस विचार को पूरी तरह से खारिज करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी सदस्य को जेल जाना पड़े, तो पार्टी के अन्य सदस्य सरकार चला सकते हैं। बाद में जमानत मिलने पर नेता दोबारा शपथ ले सकते हैं। इसमें कोई संवैधानिक या लोकतांत्रिक बाधा नहीं है।
जब संविधान बना था, तब संविधान निर्माताओं ने इस निर्लज्जता की कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में ऐसे नेता भी आएँगे, जो जेल में रहकर सरकार चलाएँगे । pic.twitter.com/flwwTkgHIE
— Amit Shah (@AmitShah) August 25, 2025
एक CM जेल में रहे और सचिव, DGP, चीफ सेक्रेटरी आदेश लेने जेल जाए, यह हमारे लोकतंत्र को शोभा नहीं देता। pic.twitter.com/Wvm6GQYOOL
— Amit Shah (@AmitShah) August 25, 2025
राहुल गांधी और अध्यादेश प्रकरण पर हमला
अमित शाह ने कांग्रेस और राहुल गांधी को भी घेरा। उन्होंने याद दिलाया कि जब मनमोहन सिंह सरकार ने लालू यादव को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था, तो राहुल गांधी ने उसे सार्वजनिक मंच पर फाड़ दिया था। शाह ने सवाल उठाया कि उस समय कांग्रेस ने नैतिकता का हवाला दिया था, तो अब क्यों नहीं दे रही, जबकि कांग्रेस लगातार तीन चुनाव हार चुकी है।
उन्होंने कहा कि 130वां संविधान संशोधन विधेयक निश्चित रूप से पारित होगा क्योंकि विपक्ष के भीतर भी कई सदस्य हैं, जो नैतिकता और लोकतंत्र का समर्थन करेंगे।
विपक्षी राजनीति और कार्यक्रमों पर टिप्पणी
अमित शाह ने राहुल गांधी के आउटरीच कार्यक्रमों और सोशल मीडिया रीलों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि किसी कार्यक्रम का प्रबंधन करना और जनता से सच्चा संवाद करना दो अलग बातें हैं। विपक्षी दलों को केवल दिखावे के बजाय जनता के असली मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि धनखड़ एक संवैधानिक पद पर आसीन थे और उन्होंने संविधान के अनुसार ही काम किया। उनके इस्तीफे की वजह व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या है, इसलिए इस पर किसी तरह की अनावश्यक अटकलें लगाना उचित नहीं है।
विपक्ष पर कड़ा वार
कुल मिलाकर, अमित शाह का यह बयान विपक्षी रणनीति पर सीधा हमला माना जा रहा है। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की कि लोकतंत्र में सत्ता व्यक्ति-विशेष पर निर्भर नहीं होती, बल्कि संस्थाओं और जनादेश पर चलती है। उनका यह बयान आने वाले राजनीतिक समीकरणों और विधेयक पर होने वाली बहस को और गरमाने वाला है।
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