July 10, 2025 8:22 PM

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संस्कृत के पुनरुत्थान को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया:

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📰 विस्तार से खबर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को दिल्ली में आयोजित एक प्रमुख समारोह में संस्कृत के पुनरुत्थान के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि कोई भी भाषा किसी समुदाय के लिए अपने अस्तित्व और पहचान का हिस्सा होती है, और इसलिए किसी भी भाषा का विरोध नहीं किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत, भारत की लगभग सभी भाषाओं की माँ है, और इसके प्रचार-प्रसार से न केवल भारतीय भाषाओं का विकास होगा, बल्कि यह पूरे देश की समग्र प्रगति का भी माध्यम बनेगा।

शाह ने संस्कृत को “दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा” बताया और कहा कि इसकी व्याकरण संरचना न केवल अद्वितीय है, बल्कि यह भाषा विज्ञान में कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करती है। उन्होंने संस्कृत के पुनरुत्थान को केवल एक सांस्कृतिक सवाल नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आवश्यकता के रूप में प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, जब संस्कृत समृद्ध और सशक्त होगी, तब देश की हर भाषा और बोली को ताकत मिलेगी, और यह भारत के समग्र विकास में योगदान देगा।

गृह मंत्री ने संस्कृत भारती संगठन की तारीफ करते हुए कहा कि इस संगठन ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए बड़े पैमाने पर कार्य किए हैं, विशेषकर 1008 संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन किया गया, जो एक साहसिक प्रयास है। शाह ने यह भी कहा कि संस्कृत का पतन उपनिवेशी काल से पहले शुरू हो चुका था, लेकिन अब इसके पुनरुत्थान के लिए सरकार, जनता और समाज की ओर से निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।

शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में संस्कृत के पुनर्जागरण के अनुकूल माहौल बनने की बात कही। उनके अनुसार, संस्कृत के उत्थान के लिए सरकार, समाज और जनता का सामूहिक प्रयास पूरी तरह समर्पित है, और यह निश्चित ही सफल होगा।

इसके अलावा, उन्होंने बताया कि संस्कृत भारती ने 1981 से दुनिया भर में संस्कृत के ज्ञान को फैलाने का काम किया है। लाखों लोगों को संस्कृत बोलने और सीखने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। शाह ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को अब केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है, और ‘सहस्र चूड़ामणि योजना’ के तहत वरिष्ठ संस्कृत विद्वानों की नियुक्ति भी की जा रही है।

इसके साथ ही, शाह ने संस्कृत और प्राकृत की पांडुलिपियों के संरक्षण की दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि देश भर में पांडुलिपियों को एकत्र करने के लिए 500 करोड़ रुपये की विशेष योजना चलाई जा रही है। अब तक 52 लाख पांडुलिपियां दर्ज की जा चुकी हैं, जिनमें से 3.5 लाख का डिजिटलीकरण किया जा चुका है, और 1.37 लाख पांडुलिपियों को ऑनलाइन उपलब्ध करा दिया गया है।

🔷 संस्कृत के पुनरुत्थान की दिशा में सरकार के प्रयास:

  1. संस्कृत भारती का योगदान – 1981 से संस्कृत भारती ने लाखों लोगों को संस्कृत सीखने के लिए प्रशिक्षित किया और बड़े पैमाने पर संस्कृत को प्रचारित किया।
  2. संस्कृत विश्वविद्यालय का दर्जा – राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है, जिससे संस्कृत शिक्षा को और बढ़ावा मिलेगा।
  3. पांडुलिपियों का संरक्षण – सरकार ने पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए 500 करोड़ रुपये की विशेष योजना शुरू की है, जिसमें अब तक 52 लाख पांडुलिपियों का पंजीकरण किया गया है।
  4. ‘सहस्र चूड़ामणि योजना’ – इस योजना के तहत वरिष्ठ संस्कृत विद्वानों की नियुक्ति की जा रही है, ताकि संस्कृत का अध्ययन और संरक्षण और बेहतर तरीके से किया जा सके।

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संस्कृत के पुनरुत्थान के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा बताया और इसके प्रचार-प्रसार को भारतीय संस्कृति और भाषा के विकास के लिए आवश्यक बताया। शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज देश में संस्कृत के उत्थान के लिए अनुकूल माहौल है। सरकार द्वारा संस्कृत के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं और प्रयासों का जोरदार समर्थन किया जा रहा है, जिससे भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सशक्त किया जा सके।


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