‘मंथन बैठक’ में सहकारी आंदोलन को सशक्त बनाने पर जोर, राज्यों से स्थानीय नीति निर्माण की अपील
जल्द लागू होगी राष्ट्रीय सहकारिता नीति, अमित शाह ने बैठक में किए बड़े ऐलान
नई दिल्ली, 1 जुलाई (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित ‘मंथन बैठक’ की अध्यक्षता करते हुए घोषणा की कि देश में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय सहकारिता नीति शीघ्र घोषित की जाएगी। यह नीति वर्ष 2025 से 2045 तक सहकारी क्षेत्र को दिशा देने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि यह नीति न केवल सहकारी संस्थाओं को मजबूती देगी, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में सहकारी आंदोलन की भूमिका को भी निर्णायक बनाएगी।

राज्यों को स्थानीय जरूरतों के अनुसार नीति बनाने का सुझाव
शाह ने कहा कि हर राज्य अपनी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप सहकारिता नीति बनाए ताकि जमीनी स्तर पर सहकारी संस्थाएं ज्यादा प्रभावी और उपयोगी साबित हो सकें। उन्होंने राज्यों से आह्वान किया कि वे सहकारिता के सिद्धांतों पर आधारित सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करें और इसे ग्रामीण विकास का आधार बनाएं।
प्राकृतिक खेती और ग्रामीण रोजगार को प्राथमिकता
बैठक में प्राकृतिक खेती, ग्रामीण रोजगार सृजन, और सहकारी संस्थाओं के विस्तार जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। शाह ने कहा कि देश के करोड़ों छोटे किसानों और सीमित संसाधनों वाले ग्रामीण परिवारों की आर्थिक ताकत को जोड़कर बड़ा बदलाव केवल सहकारिता के माध्यम से ही संभव है।

हर गांव में होगी सहकारी संस्था
केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि सरकार की योजना है कि आगामी पांच वर्षों में देश के हर गांव में कम से कम एक सहकारी संस्था हो। इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटा संग्रह तंत्र की स्थापना की जा रही है, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कहां-कहां सहकारी संस्थाएं अभी नहीं हैं।
शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय
बैठक में यह भी बताया गया कि देश के सहकारी क्षेत्र में प्रशिक्षण और क्षमता विकास के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। शाह ने राज्यों से आग्रह किया कि वे कम से कम एक राज्य स्तरीय प्रशिक्षण संस्था को इस विश्वविद्यालय से जोड़ें।
5 जुलाई को आणंद (गुजरात) में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय का भूमि पूजन खुद अमित शाह करेंगे।
महत्वपूर्ण विषयों पर हुई समीक्षा और सुझाव
बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ:
- 2 लाख बहुउद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) की स्थापना
- दुग्ध और मत्स्य सहकारी क्षेत्र का विस्तार
- देश की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना
- श्वेत क्रांति 2.0 की तैयारी
- सहकारी बैंकों में पारदर्शिता और पूर्ण कम्प्यूटरीकरण
- मॉडल सहकारी अधिनियम (Model Act) का प्रभावी क्रियान्वयन
नवगठित संस्थाओं की प्रगति की समीक्षा
बैठक में हाल ही में गठित संस्थाओं की प्रगति की भी समीक्षा की गई, जैसे:
- राष्ट्रीय सहकारी निर्यात संस्था
- राष्ट्रीय सहकारी जैविक संस्था
- भारतीय बीज सहकारी संस्था
इन संस्थाओं के माध्यम से किसानों को निर्यात, जैविक उत्पाद और बीज वितरण के क्षेत्र में बेहतर अवसर मिलेंगे।
राज्य मंत्रियों ने साझा किए अपने अनुभव और सुझाव
मध्यप्रदेश: पैक्स को बहुद्देशीय इकाइयों में बदला
मप्र के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि राज्य में प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को बहुद्देशीय इकाइयों के रूप में विकसित करने में उल्लेखनीय सफलता मिली है।
- हर पैक्स को संचालन हेतु 3.24 लाख रुपये,
- जनजातीय क्षेत्रों की पैक्स को 3.48 लाख रुपये की सहायता दी जा रही है।
उन्होंने नई पैक्स की स्थापना के लिए केंद्र से आधारभूत ढांचे को मजबूत करने हेतु अनुदान देने का सुझाव भी रखा।
हरियाणा: डिजिटल सहकारिता की दिशा में अग्रसर
हरियाणा के सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि राज्य डिजिटल बैंकिंग, ऑनलाइन खाद वितरण और कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं को गांव-गांव तक पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सहकारी आंदोलन को पुनर्जीवित करने में अग्रणी रहेगा।
अमित शाह ने दिया ‘सहकार से समृद्धि’ का मंत्र
बैठक के समापन पर केंद्रीय मंत्री शाह ने दोहराया कि भारत की आर्थिक ताकत गांवों, किसानों और श्रमिकों की सामूहिक शक्ति में छिपी है, और उसे संगठित करने का सबसे प्रभावी माध्यम सहकारिता है। उन्होंने आशा जताई कि आने वाला दशक सहकारिता का स्वर्णकाल साबित होगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा | और भी दिलचस्प खबरें आपके लिए… सिर्फ़ स्वदेश ज्योति पर!