केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान किया और कई धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि और योग गुरु बाबा रामदेव भी मौजूद थे। शाह ने परिवार सहित महाकुंभ में लगभग 5 घंटे बिताए, जिसमें उन्होंने पूजा, संतों के साथ बैठक और धार्मिक गतिविधियों में भाग लिया।
संगम स्नान और मंत्रोच्चार
महाकुंभ में पहुंचने के बाद अमित शाह ने संगम में डुबकी लगाई। संतों ने उनके स्नान के दौरान मंत्रोच्चार किया और पवित्र गंगा जल से उनका आचमन कराया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव ने भी उनके साथ संगम में स्नान किया। करीब 10 मिनट तक स्नान के बाद शाह ने संगम तट पर परिवार सहित पूजा-अर्चना की।
अक्षयवट के दर्शन और पूजा-अर्चना
संगम स्नान के बाद शाह अक्षयवट के दर्शन करने पहुंचे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षयवट को मोक्ष और अनंत जीवन का प्रतीक माना जाता है। यहां उन्होंने विधिपूर्वक पूजा की और पवित्र वट वृक्ष के नीचे समय बिताया।
संतों के साथ चर्चा और प्रसाद ग्रहण
अमित शाह ने जूना अखाड़े के संतों के साथ बैठक की और उनके साथ प्रसाद ग्रहण किया। उन्होंने संतों के साथ धर्म और समाज से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। संतों ने शाह को आशीर्वाद दिया और महाकुंभ के महत्व पर बातचीत की।
सीएम योगी और रामदेव का साथ
पूरे कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाबा रामदेव उनके साथ रहे। स्नान के बाद, योगी और रामदेव ने योग सत्र में भाग लिया और महाकुंभ में योग के महत्व पर चर्चा की।
शाह का प्रयागराज आगमन और यात्रा का विवरण
गृहमंत्री अमित शाह सुबह 11:30 बजे बमरौली एयरपोर्ट पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य और ब्रजेश पाठक ने उनका स्वागत किया। एयरपोर्ट से वे BSF के हेलिकॉप्टर से दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) पहुंचे और फिर कार से अरैल घाट गए। वहां से स्टीमर के जरिए VIP घाट पहुंचे। इस यात्रा के दौरान उन्होंने पक्षियों को दाना भी खिलाया।
महाकुंभ में शाह की मौजूदगी का महत्व
अमित शाह की महाकुंभ यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से खास रही। संगम में स्नान और संतों के साथ समय बिताकर उन्होंने भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को और गहरा किया। उनकी इस यात्रा को समाज में शांति, एकता और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश माना जा रहा है।
गृहमंत्री की यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजन के प्रति श्रद्धा और सम्मान को भी दर्शाती है।