October 18, 2025 6:17 PM

अमित शाह ने अबूझमाड़ व उत्तर बस्तर को नक्सल मुक्त घोषित किया; दो दिन में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण

amit-shah-declares-abujhmad-naxal-free-258-surrenders

गृह मंत्री ने आत्मसमर्पण को मोदी सरकार की नीति की बड़ी सफलता बताया, कहा— हिंसा छोड़कर संविधान में भरोसा जताया गया

अमित शाह ने अबूझमाड़ व उत्तर बस्तर नक्सल मुक्त घोषित किए; दो दिन में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण

गुटखा, 16 अक्टूबर। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के कठिन और लंबे समय से नक्सल प्रभावित रहने वाले पर्वतीय क्षेत्र अबूझमाड़ तथा उत्तर बस्तर को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि केवल दो दिन में कुल 258 नक्सलियों ने हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। गृह मंत्री ने इस विकास को केंद्र की नीतियों व सुरक्षा बलों की कार्रवाई की बड़ी सफलता करार दिया और कहा कि नक्सलवाद अब अपने अंत की ओर बढ़ रहा है।

गृह मंत्री ने सामाजिक संजाल प्लेटफॉर्म एक्स पर आत्मसमर्पण की जानकारी साझा करते हुए लिखा कि आज छत्तीसगढ़ में 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, पिछले दिन 27 नक्सलियों ने और महाराष्ट्र से 61 नक्सलियों ने भी हिंसा छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि जो लोग आत्मसमर्पण कर रहे हैं, उन्होंने हिंसा छोड़कर भारत के संविधान और लोकतान्त्रिक व्यवस्था में विश्वास जताया है, जो साहसिक और स्वागतयोग्य कदम है। गृह मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार की नीति स्पष्ट है — आत्मसमर्पण करने वालों का स्वागत और शत्रुता बनाए रखने वालों के खिलाफ सुरक्षा बल सख्त कार्रवाई करेंगे।

शाह ने शांति स्थापना और पुनर्वास की पहल पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को कानूनी प्रक्रिया के बाद सुरक्षित रूप से पुनः समाज में शामिल करने के लिए योजनाओं के तहत सहायता दी जाएगी और उन्हें विकल्प प्रदान किए जाएंगे ताकि वे मुख्यधारा में स्थायी रूप से लौट सकें। गृह मंत्रालय तथा राज्य सरकारें मिलकर उन इलाकों में विकास परियोजनाओं और रोजगार सृजन पर तेजी से काम करेंगी जहाँ हिंसा के कारण विकास बाधित रहा था।

इस बीच गृह मंत्री ने एक अलग सार्वजनिक कार्यक्रम में उन अपराधियों पर भी कठोर रुख अपनाने की बात दुहराई जो देश से भागकर विदेशों में शरण लेकर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कानूनी तंत्र का उपयोग कर रही है ताकि उन्हें न्याय के समक्ष लाया जा सके। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ बाहरी मुक़ाबले में भी देश की कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर पर नक्सलियों की पकड़ लंबे समय से गहरी मानी जाती थी और इन क्षेत्रों में कई वर्षों से बड़ी सशस्त्र संघर्ष की घटनाएँ दर्ज होती रहीं। गृह मंत्री ने कहा कि अब केवल दक्षिण बस्तर के कुछ सीमित हिस्सों में नक्सली बने हुए हैं, जिन्हें शीघ्र ही समाप्त कर दिया जाएगा। उन्होंने सुरक्षा बलों की भूमिका, स्थानीय जनता के सहयोग और समाजिक-आर्थिक पहलों को इस सफलता का श्रेय दिया। बता दें कि हाल में राज्य और केंद्र की साझेदारी तथा भूमि पर विकास योजनाएँ तेजी से लागू की गई हैं, जिससे न केवल सुरक्षा मजबूती मिली बल्कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जीवनयापन के विकल्प भी बढ़े।

विश्लेषकों का कहना है कि आत्मसमर्पण की यह लहर न केवल सुरक्षा दृष्टि से बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का जोड़ा रिहैबिलिटेशन और पुनःस्थापन सही तरीके से किया गया तो लंबे समय तक चली हिंसा पर निर्णायक प्रभाव पड़ेगा। वहीं, कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि केवल सुरक्षा और आत्मसमर्पण पर ही निर्भर रहने के बजाय स्थायी समाधान के लिए शिक्षा, रोज़गार, बुनियादी ढाँचे और स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक पारदर्शिता को भी मजबूत करना होगा।

स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा और शांति कायम रखने के लिए अतिरिक्त उपाय लागू कर दिए हैं। प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की मौजूदगी बढ़ाई जा रही है ताकि आत्मसमर्पण करने वालों के मुख्यधारा में आत्मसातकरण की प्रक्रिया निर्बाध रूप से चली और किसी प्रकार की हिंसक वापसी न हो सके। राज्य सरकार ने भी आश्वासन दिया है कि आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास के लिए विस्तृत योजना के तहत प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और सामाजिक समायोजन के कार्यक्रम दिए जाएंगे।

केंद्र सरकार के उच्च स्तर पर यह मत भी साझा किया जा रहा है कि नक्सलवाद के विरुद्ध पहल केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। सतत विकास, स्थानीय मुद्दों का त्वरित समाधान, और समुदाय-आधारित शांति निर्माण के माध्यम से नक्सलवाद के मूल कारणों का निवारण भी आवश्यक है। गृह मंत्री के मुताबिक़, आत्मसमर्पण की यह लहर वही संकेत है कि सरकार की समग्र नीति सफल हो रही है और अब प्रक्रिया को शांति और समावेशिता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।


Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram