दक्षिण इजराइल पर मिसाइल हमले के बाद ट्रंप ने कहा- फैसला जल्द, लेकिन कूटनीति को दे रहे मौका
वाशिंगटन।
ईरान और इजराइल के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका ने निर्णायक कदम उठाने से पहले नरमी दिखाते हुए ईरान को दो सप्ताह की मोहलत दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ किया है कि वह फिलहाल ईरान के खिलाफ इजराइल की सैन्य कार्रवाई में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे, लेकिन इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय आने वाले दो हफ्तों में लिया जाएगा।
गौरतलब है कि गुरुवार को दक्षिण इजराइल के बीरशेबा स्थित सोरोका मेडिकल सेंटर समेत कई स्थानों पर ईरानी मिसाइल हमले के बाद वाशिंगटन की स्थिति को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। लेकिन ट्रंप ने संकेत दिए कि वे कूटनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं।
बातचीत की टेबल पर लौटना चाहता है अमेरिका
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बयान जारी कर कहा कि “राष्ट्रपति ट्रंप को उम्मीद है कि आने वाले दो सप्ताह में अमेरिका और ईरान के बीच वार्ता की संभावना बनेगी। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि बातचीत होती है तो उसमें ईरान के यूरेनियम संवर्धन और हथियार निर्माण पर सख्त प्रतिबंध अनिवार्य रूप से शामिल होंगे।”

इजराइल के हमलों के बीच कूटनीतिक प्रयास
अमेरिका के मध्य पूर्व दूत स्टीव विटकॉफ इस समय ईरानी अधिकारियों से संपर्क में हैं और दोनों पक्षों के बीच संचार चैनल को सक्रिय रखने की कोशिश हो रही है। रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप नहीं चाहते कि अमेरिका सीधे युद्ध में उलझे, खासतौर पर तब जब अभी भी बातचीत की संभावनाएं बची हुई हैं।
व्हाइट हाउस सूत्रों के अनुसार, ईरान को यह भी संदेश दिया गया है कि यदि वह इजराइल पर बमबारी बंद करता है और परमाणु गतिविधियों को रोकने के लिए राजी होता है, तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई से पीछे हट सकता है।
यूरोपीय कूटनीति भी सक्रिय
इस बीच जिनेवा में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के विदेश मंत्री ईरान के प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे हैं। यूरोपीय देश भी विटकॉफ के पहले के उस प्रस्ताव पर फिर विचार कर रहे हैं जिसमें ईरान को यूरेनियम संवर्धन पर रोक लगाने के बदले प्रतिबंधों में कुछ राहत देने की पेशकश की गई थी।
ईरान का रुख सख्त, कहा- पहले इजराइल रोके हमले
हालांकि, ईरान ने अमेरिका की इस पहल पर फिलहाल सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है। तेहरान ने साफ किया है कि जब तक इजराइल अपने बमबारी अभियान को रोकता नहीं है, तब तक वह अमेरिका के साथ किसी तरह की वार्ता में शामिल नहीं होगा।
क्या हो सकता है अगला कदम?
ट्रंप की घोषणा का उद्देश्य स्पष्ट है—ईरान को कूटनीतिक रास्ते पर वापस लाना और संघर्ष को युद्ध में बदलने से रोकना। हालांकि यदि दो सप्ताह बाद भी बातचीत की स्थिति नहीं बनती, तो अमेरिका की भूमिका आक्रामक हो सकती है। ट्रंप प्रशासन इस समय ‘सख्ती के साथ संयम’ की नीति पर चल रहा है।