July 5, 2025 10:04 PM

अमरनाथ यात्रा के दौरान बड़ा हादसा: रामबन में काफिले की चार बसों की टक्कर, 36 यात्री घायल; सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

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अमरनाथ यात्रा में बस हादसा: 36 घायल, सुरक्षा और व्यवस्था पर श्रद्धालु संतुष्ट

रामबन/जम्मू। जम्मू-कश्मीर में चल रही अमरनाथ यात्रा के दौरान एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। रामबन जिले के चंदरकोट लंगर के पास तीर्थयात्रियों के काफिले की चार बसें आपस में टकरा गईं, जिससे करीब 36 यात्री घायल हो गए

हादसे का कारण एक बस के ब्रेक फेल होना बताया जा रहा है, जिससे ड्राइवर ने नियंत्रण खो दिया और आगे चल रही बसों से भिड़ गया। इसके चलते पीछे आ रही दो और बसें भी चपेट में आ गईं।

रेस्क्यू ऑपरेशन तुरंत शुरू

हादसे की जानकारी मिलते ही रेस्क्यू टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और सभी घायलों को जिला अस्पताल रामबन में भर्ती कराया गया। हादसे में बचे अन्य यात्रियों को दूसरी बसों के जरिए पहलगाम रवाना कर दिया गया है, ताकि यात्रा में कोई बाधा न आए।

बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं में उत्साह

इस दुर्घटना से इतर, अमरनाथ यात्रा पूरे जोश से जारी है। शनिवार को 6,900 से अधिक श्रद्धालुओं का नया जत्था भगवती नगर बेस कैंप से रवाना हुआ। इस जत्थे में 5196 पुरुष, 1427 महिलाएं, 24 बच्चे, 331 साधु-साध्वी और एक ट्रांसजेंडर शामिल हैं।

अब तक यात्रा के दूसरे दिन तक 30,000 से अधिक श्रद्धालु पवित्र गुफा में हिमलिंग के दर्शन कर चुके हैं।

यात्रा 3 जुलाई से शुरू, 9 अगस्त को होगी समाप्त

अमरनाथ यात्रा इस साल 3 जुलाई से शुरू हुई है और 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी। यह यात्रा दो रूटों – पहलगाम और बालटाल से चलाई जा रही है और कुल 38 दिन तक चलेगी।

पिछले वर्ष यह यात्रा 52 दिनों की थी और करीब 5 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। इस बार भी श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है और अब तक 3.5 लाख से अधिक तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।

सुरक्षा और सुविधा के पुख्ता इंतजाम

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने इस बार यात्रा को सुचारु और सुरक्षित बनाने के लिए 581 सुरक्षा कंपनियां तैनात की हैं, जिनमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, आईटीबीपी और सीआईएसएफ के जवान शामिल हैं।

  • हर 50 मीटर पर सुरक्षा जवान तैनात किए गए हैं।
  • बालटाल से गुफा तक हर 2 किमी पर मेडिकल कैंप लगाए गए हैं।
  • रास्तों में भंडारे, शौचालय, विश्राम गृह और गोदामों की व्यवस्था की गई है।
  • गुफा की ओर चार स्टैंड बनाए गए हैं, ताकि पैदल, घोड़े और पालकी वालों के मार्ग अलग-अलग रहें।

तीर्थयात्रियों का अनुभव

मुंबई से आए तीर्थयात्री प्रसाद ठाकुर ने बताया, “भले ही कुछ लोगों का रजिस्ट्रेशन पहले नहीं हुआ था, लेकिन स्थानीय सेंटरों पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बेहद आसान और तेज़ है। भंडारों में भोजन, शौचालय और विश्राम की व्यवस्थाएं बेहतर हैं। आज अकेले 70-80 हजार लोगों ने दर्शन किए होंगे।

पहलगाम रूट: सौंदर्य के लिए बेहतर, लेकिन चुनौतीपूर्ण

धार्मिक आस्था के साथ कश्मीर की प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेना चाहते हैं तो पहलगाम रूट उपयुक्त है, लेकिन यह रास्ता काफी कठिन और जर्जर है।

  • गुफा से चंदनबाड़ी तक 48 किमी लंबा यह रास्ता पथरीला और कई जगहों पर संकरा है।
  • कई स्थानों पर रेलिंग नहीं है, और घोड़ों के लिए अलग रास्ते भी अधूरे हैं।
  • हालांकि, रास्ते में जवान डॉग स्क्वॉड और उच्च हिमालयी बुग्यालों में तैनात मिलते हैं, जो सुरक्षा और सहायता में जुटे हैं।
  • 14,800 फीट की ऊंचाई पर गणेश टॉप और पिस्सू टॉप जैसे कठिन स्थानों पर भी सुरक्षा मुस्तैद है।

पिछले वर्षों की तुलना में इस बार सुरक्षा व्यवस्था और सुविधाओं में स्पष्ट सुधार देखा जा रहा है।


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