- 3,536 यात्रियों का एक नया जत्था जम्मू से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच घाटी के लिए रवाना हुआ
श्रीनगर। पवित्र अमरनाथ यात्रा को शुरू हुए 19 दिन हो चुके हैं और अब तक 3.21 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं। मंगलवार को 3,536 यात्रियों का एक नया जत्था जम्मू से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच घाटी के लिए रवाना हुआ। अधिकारियों के अनुसार, अमरनाथ यात्रा अब तक शांतिपूर्ण और सुचारू रूप से चल रही है। मंगलवार को जम्मू के भगवती नगर यात्री निवास से दो सुरक्षा काफिलों में यात्रियों को रवाना किया गया। पहले काफिले में 1,250 श्रद्धालु 48 वाहनों से बालटाल आधार शिविर के लिए सुबह 3:33 बजे निकले, जबकि दूसरे काफिले में 2,286 यात्री 84 वाहनों से सुबह 4:06 बजे पहलगाम आधार शिविर के लिए रवाना हुए। तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ दोनों आधार शिविरों—बालटाल और पहलगाम—में प्रतिदिन पहुंच रही है। यात्रा का आयोजन श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा किया जा रहा है और इस बार सुरक्षा को लेकर खास तैयारियां की गई हैं।
‘छड़ी मुबारक’ की पूजा और यात्रा की तैयारी
10 जुलाई को पहलगाम में भगवान शिव की प्रतीकात्मक ‘छड़ी मुबारक’ का पूजन किया गया। महंत स्वामी दीपेंद्र गिरि के नेतृत्व में संतों के समूह ने इसे श्रीनगर स्थित दशनामी अखाड़ा भवन से पहलगाम ले जाकर गौरी शंकर मंदिर में भूमि पूजन किया। इसके बाद छड़ी को वापिस श्रीनगर लाया गया। अब यह 4 अगस्त को अपनी अंतिम यात्रा पर गुफा मंदिर के लिए रवाना होगी और 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा पर पवित्र गुफा पहुंचेगी, जिससे यात्रा का समापन होगा।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
इस वर्ष अमरनाथ यात्रा कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए कायराना हमले के बाद हो रही है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने बैसरन मैदान में 26 नागरिकों की हत्या की थी। इसी के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था को बेहद सख्त बनाया गया है। सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अलावा केंद्रीय सशस्त्र बलों की 180 अतिरिक्त कंपनियां और 8,000 से अधिक विशेष कमांडो तैनात किए गए हैं।
दो मार्ग, कठिन यात्रा
श्रद्धालु या तो पारंपरिक पहलगाम मार्ग से या छोटे बालटाल मार्ग से पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं। पहलगाम मार्ग से जाने वाले तीर्थयात्रियों को चंदनवाड़ी, शेषनाग और पंचतरणी होते हुए करीब 46 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है, जो चार दिन में पूरी होती है। वहीं बालटाल मार्ग से केवल 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा होती है और यात्री उसी दिन लौट आते हैं। इस वर्ष सुरक्षा कारणों से हेलीकॉप्टर सेवा को स्थगित कर दिया गया है।