इस साल अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर पहली बार कड़ी सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं। 2025 की यात्रा में आतंकवाद की आशंका को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) सुरक्षा में नई तकनीक जैसे जैमर का इस्तेमाल किया जाएगा। यह कदम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया गया है, जिसमें 26 पर्यटक शहीद हुए थे।
सुरक्षा के लिए किए गए विशेष इंतजाम
अमरनाथ यात्रा के काफिले की सुरक्षा के लिए इस बार जैमर (Jammer) लगाए जाएंगे, जो संदिग्ध और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में मदद करेंगे। इसके अलावा, यात्रा मार्ग और नेशनल हाईवे की ओर जाने वाली सभी सड़कों को काफिले के गुजरने के दौरान बंद कर दिया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की सुरक्षा खतरे से बचा जा सके।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए 581 कंपनियां तैनात की जाएंगी, जिनमें लगभग 42,000 से 58,000 जवान शामिल हैं। ये जवान केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों जैसे सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, आईटीबीपी और सीआईएसएफ से होंगे। अभी जम्मू-कश्मीर में पहले से 156 कंपनियां तैनात हैं, और 425 नई कंपनियां 10 जून तक यात्रा की सुरक्षा में लगाई जाएंगी।

सुरक्षा के आधुनिक उपकरण और टीमें
- रोड ओपनिंग पार्टी (ROP): जो रास्तों को साफ कर सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
- क्विक एक्शन टीम (QAT): खतरे की स्थिति में त्वरित कार्रवाई के लिए तैयार।
- बॉम्ब डिफ्यूजल स्क्वॉड (BDS): विस्फोटकों की खोज और निष्क्रिय करने वाली टीम।
- K9 यूनिट्स: विशेष प्रशिक्षित खोजी कुत्ते, जो संदिग्ध वस्तुओं या लोगों का पता लगाएंगे।
- ड्रोन: हवाई निगरानी के लिए ड्रोन तैनात किए जाएंगे, जो दो मार्गों – पहलगाम और बालटाल – पर सतत नजर रखेंगे।

इस बार यात्रा होगी 38 दिन की, 9 अगस्त को समाप्त
2025 में अमरनाथ यात्रा पहली बार 38 दिन तक चलेगी, जो 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को रक्षाबंधन और छड़ी मुबारक के दिन समाप्त होगी। पिछले कुछ वर्षों में यात्रा की अवधि में बदलाव देखा गया है:
- 2024 में 52 दिन
- 2023 में 62 दिन
- 2022 में 43 दिन
- 2019 में 46 दिन
कोविड महामारी के कारण 2020 और 2021 में यात्रा स्थगित रही। 2024 में लगभग 5 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे।

यात्रा के दो प्रमुख मार्ग और उनकी विशेषताएं
- पहलगाम रूट:
यह मार्ग यात्रा के लिए आसान माना जाता है। कुल सफर में तीन दिन लगते हैं। पहले दिन चंदनवाड़ी तक जाना होता है, जो बेस कैंप से लगभग 16 किलोमीटर दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है, जिसमें पिस्सू टॉप और शेषनाग आते हैं। दूसरे दिन पंचतरणी तक जाना होता है, और तीसरे दिन गुफा तक की 6 किलोमीटर की चढ़ाई पूरी होती है। यह मार्ग बुजुर्गों और कमजोर स्वास्थ्य वाले यात्रियों के लिए बेहतर विकल्प है। - बालटाल रूट:
यह मार्ग छोटा लेकिन खड़ा और चुनौतीपूर्ण है। केवल 14 किलोमीटर की चढ़ाई है, लेकिन रास्ते संकरे और मोड़दार हैं। बुजुर्गों के लिए यह मार्ग कठिन होता है। यह रास्ता समय बचाने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
यात्रियों के लिए जरूरी निर्देश
- मेडिकल सर्टिफिकेट, आधार कार्ड, आरएफआईडी कार्ड, 4 पासपोर्ट साइज फोटो और ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म साथ रखना अनिवार्य है।
- यात्रा की कठिनाइयों को देखते हुए रोजाना 4-5 किलोमीटर पैदल चलने की तैयारी करनी चाहिए।
- सांस लेने के व्यायाम जैसे प्राणायाम करना लाभकारी होगा।
- ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी की बोतल और जरूरी दवाएं साथ रखें।
अमरनाथ का हिमानी शिवलिंग: प्रकृति का अद्भुत उपहार
अमरनाथ गुफा में स्थित हिमानी शिवलिंग एक प्राकृतिक चमत्कार है। यह समुद्र तल से लगभग 3,888 मीटर ऊंचाई पर स्थित है और इसका तापमान हमेशा 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहता है। गुफा की छत से टपकता हुआ पानी ग्लेशियर या बर्फ के पिघलने से आता है, जो जमकर शिवलिंग का रूप ले लेता है। इस प्राकृतिक हिमनिर्मित शिवलिंग को वैज्ञानिक दृष्टि से स्टेलैग्माइट कहा जाता है। यह भगवान शिव का दिव्य प्रतीक माना जाता है और श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र स्थान है।
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