गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार को हुआ एयर इंडिया का विमान हादसा भारतीय एविएशन इतिहास के सबसे महंगे हादसों में शामिल हो सकता है। न्यूयॉर्क से लंदन होते हुए अहमदाबाद आ रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश में 241 लोगों की मौत और विमान के पूरी तरह नष्ट हो जाने के बाद अब इस दुर्घटना से जुड़े बीमा दावों पर चर्चा तेज हो गई है।
कितना बड़ा होगा बीमा क्लेम?
विमानन क्षेत्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक, दुर्घटनाग्रस्त विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था, जिसकी इंश्योरेंस वैल्यू 21 करोड़ डॉलर से 28 करोड़ डॉलर के बीच आंकी जा रही है। इसका मतलब भारतीय मुद्रा में 2,400 करोड़ रुपये से भी अधिक का बीमा क्लेम बन सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत में अब तक की सबसे बड़ी एविएशन बीमा देनदारी हो सकती है।
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किसने किया बीमा और क्या-क्या शामिल है?
एयर इंडिया ने अपने विमानों के लिए बीमा GIC Re (जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) और टाटा AIG से करवाया हुआ है। इस बीमा में दो प्रमुख भाग शामिल होते हैं:
- एयरक्राफ्ट हुल इंश्योरेंस – विमान को हुए भौतिक नुकसान की भरपाई।
- लीगल लाइबिलिटी कवर – यात्रियों की मौत और थर्ड पार्टी (जैसे रिहायशी इलाकों में हुई क्षति) से जुड़े दावों की भरपाई।
इस हादसे में दोनों ही हिस्से सक्रिय हो सकते हैं क्योंकि विमान पूरी तरह तबाह हुआ और रिहायशी इलाकों में गिरने से आम नागरिकों की भी जानें गईं।
विमानों की बीमा वैल्यू कैसे तय होती है?
जानकारों के अनुसार, हर विमान का बीमा उसके डिक्लेयर्ड वैल्यू (Declared Value) पर आधारित होता है, जो एयरलाइन कंपनी और इंश्योरर के बीच तय होती है।
- VT-ABN रजिस्टर्ड यह बोइंग 787-8 विमान 2013 में निर्मित हुआ था।
- वर्ष 2021 में इसकी बीमा वैल्यू 115 मिलियन डॉलर थी।
- मौजूदा समय में ऐसे विमानों की अनुमानित वैल्यू 211 से 280 मिलियन डॉलर मानी जा रही है, जो उसकी उम्र, तकनीकी स्थिति और इंटीरियर कॉन्फिगरेशन पर निर्भर करती है।
क्या वॉर और आतंकी हमलों का कवर भी होता है?
एयरलाइंस कंपनियां आमतौर पर अपने विमानों के लिए एक अतिरिक्त Hull War Risk Insurance लेती हैं, जो किसी आतंकी हमले, युद्ध या हिंसक घटना से होने वाली क्षति को कवर करता है। हालांकि इस हादसे के बारे में अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि कोई आतंकी कारण था या नहीं, इसलिए इस कवर के लागू होने पर स्थिति साफ नहीं है।
यात्रियों के लिए मुआवजा: टाटा ग्रुप की घोषणा
चूंकि एयर इंडिया अब टाटा ग्रुप के स्वामित्व में है, इसलिए समूह ने प्रत्येक मृतक यात्री के परिजन को 1 करोड़ रुपये की अंतरिम सहायता देने की घोषणा की है। यह राशि अंतिम बीमा क्लेम से अलग होगी और बीमा कंपनियों द्वारा अलग से तय की गई लीगल लायबिलिटी पॉलिसी के तहत मुआवज़ा निर्धारित होगा।
बीमा कंपनियों पर कितना दबाव?
विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी बड़ी बीमा देनदारी को पूरा करने में रीइंश्योरेंस कंपनियों की भूमिका अहम होगी। बड़े बीमा दावों को आमतौर पर एकल बीमा कंपनी नहीं, बल्कि कई कंपनियों के बीच बांटा जाता है।
- इस केस में यात्रियों की मौत,
- विमान की क्षति,
- थर्ड पार्टी यानी ज़मीन पर हुए नुकसान — तीनों प्रकार के क्लेम संभावित हैं।
इसलिए बीमा और रीइंश्योरेंस सेक्टर में खासी हलचल मचने की संभावना है।
क्या बीमा उद्योग पर पड़ेगा असर?
भारत का एविएशन इंश्योरेंस मार्केट अभी लगभग 900 करोड़ रुपये का है, जिसमें ऐसी बड़ी दुर्घटनाएं बहुत कम होती हैं। लेकिन इस हादसे के बाद इंश्योरेंस प्रीमियम की दरों में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।
विशेषकर, बोइंग 787 जैसे बड़े और महंगे विमानों के लिए बीमा कंपनियां अब अधिक सख्त शर्तों और उच्च प्रीमियम की मांग कर सकती हैं।
हादसा, मुआवज़ा और वित्तीय बोझ
एयर इंडिया का यह हादसा न सिर्फ मानवीय त्रासदी है, बल्कि यह भारत की एविएशन बीमा प्रणाली के लिए एक लिटमस टेस्ट भी बन गया है। इतने बड़े क्लेम और क्षतिपूर्ति का सीधा असर न केवल एयर इंडिया बल्कि पूरे बीमा और रीइंश्योरेंस इकोसिस्टम पर पड़ेगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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