अहमदाबाद। 12 जून को एअर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अब मामले की जांच ने बड़ा मोड़ ले लिया है। क्रैश विमान के ब्लैक बॉक्स से डेटा सफलतापूर्वक रिकवर कर लिया गया है, जिसकी पुष्टि केंद्र सरकार की ओर से गुरुवार को की गई। अधिकारियों के अनुसार, ब्लैक बॉक्स के मेमोरी मॉड्यूल तक पहुंच भी मिल चुकी है, जिससे अब हादसे के कारणों का तकनीकी विश्लेषण शुरू किया जा सकेगा।
जांच की ज़िम्मेदारी AAIB को सौंपी गई
नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने कुछ दिन पहले स्पष्ट किया था कि ब्लैक बॉक्स को विदेश नहीं भेजा जाएगा, बल्कि भारत में ही इसकी जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही है। यह निर्णय आत्मनिर्भरता और डेटा की सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण माना गया।
दो ब्लैक बॉक्स बरामद किए गए थे
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, विमान से दो ब्लैक बॉक्स—कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) बरामद किए गए हैं।
- पहला ब्लैक बॉक्स 13 जून को
- दूसरा 16 जून को मलबे से प्राप्त हुआ।
इन दोनों उपकरणों में हादसे के समय की महत्वपूर्ण जानकारी होती है, जो विमान में मौजूद 241 यात्रियों और 29 क्रू सदस्यों सहित 270 लोगों की मौत की असली वजहों का खुलासा कर सकती है।

ब्लैक बॉक्स से क्या जानकारी मिलेगी?
ब्लैक बॉक्स, जो वास्तव में एक नारंगी रंग का उपकरण होता है, उड़ान के हर सेकंड की जानकारी रिकॉर्ड करता है। इसमें दो प्रमुख हिस्से होते हैं:
- CVR (Cockpit Voice Recorder):
- पायलटों की बातचीत
- अलार्म या सिस्टम वॉर्निंग की आवाजें
- रेडियो संचार
- FDR (Flight Data Recorder):
- एयरक्राफ्ट की स्पीड
- ऊंचाई (altitude)
- इंजन की स्थिति
- सेंसर और फ्लाइट कंट्रोल्स की गतिविधियां
इन दोनों के जरिए जांच एजेंसी यह पता लगा सकती है कि फ्लाइट टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद ऐसा क्या तकनीकी या मानव-जनित दोष सामने आया जिसने विमान को दुर्घटनाग्रस्त कर दिया।
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‘ब्लैक बॉक्स’ क्यों कहा जाता है?
हालांकि इसका रंग नारंगी होता है, फिर भी इसे ‘ब्लैक बॉक्स’ क्यों कहते हैं, इस पर दो प्रचलित मान्यताएं हैं:
- पहली यह कि शुरुआती ब्लैक बॉक्स उपकरणों का अंदरूनी हिस्सा काला होता था, जिससे यह नाम पड़ा।
- दूसरी मान्यता के अनुसार, हादसों के बाद यह उपकरण जलने से काला हो जाता था, इसलिए इसे ब्लैक बॉक्स कहा जाने लगा।
अगला कदम: डेटा का विश्लेषण
अब जबकि ब्लैक बॉक्स से डेटा रिकवर हो गया है, AAIB इस डेटा का विश्लेषण शुरू करेगा। यह पता लगाने की कोशिश होगी कि विमान में कोई तकनीकी खराबी थी, या मानवीय भूल, या फिर कोई अन्य बाहरी कारक जिम्मेदार था।
विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लैक बॉक्स की मदद से हर सेकंड की फ्लाइट हिस्ट्री को ट्रेस किया जा सकता है, जिससे एक सटीक और तकनीकी रिपोर्ट तैयार की जा सकती है।
पूरे देश की निगाहें रिपोर्ट पर
AI-171 विमान हादसा भारत के सबसे भीषण एविएशन हादसों में से एक माना जा रहा है। ऐसे में ब्लैक बॉक्स से प्राप्त जानकारी पर पूरे देश और विमानन क्षेत्र की गंभीर निगाहें टिकी हुई हैं। यह रिपोर्ट भविष्य में एयर सेफ्टी प्रोटोकॉल को और बेहतर बनाने में भी मददगार हो सकती है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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