नई दिल्ली।
भारत की आर्थिक स्थिति और भविष्य की दिशा को लेकर शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया जाएगा। यह सर्वेक्षण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में पेश किया जाएगा, और इसके साथ ही भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति, विकास दर, प्रमुख सेक्टर जैसे कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र की स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी जाएगी। आर्थिक सर्वेक्षण के बाद, 1 फरवरी को आम बजट पेश किया जाएगा, जिसमें देश की वित्तीय नीतियों, आगामी योजनाओं और सरकारी कार्यक्रमों का खाका प्रस्तुत किया जाएगा।
आर्थिक सर्वेक्षण का महत्व और इसकी तैयारी
आर्थिक सर्वेक्षण भारत की आर्थिक सेहत का समग्र आकलन करता है और यह सरकार द्वारा तैयार किया जाता है। यह दस्तावेज़ सरकार की नीतियों, विकास दर, उद्योग, कृषि, व्यापार नीति और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति को रेखांकित करता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन की देखरेख में तैयार किए गए इस सर्वेक्षण का उद्देश्य आने वाले वित्तीय वर्ष में संभावित सुधारों और नीतिगत दिशा को स्पष्ट करना है।
सर्वेक्षण का पहला भाग शुक्रवार को संसद में पेश किया जाएगा, जिसमें आर्थिक स्थिति और मुख्य आर्थिक रुझानों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस सर्वेक्षण में सरकार के वित्तीय प्रदर्शन, कृषि, औद्योगिक क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, सरकारी योजनाओं और सुधारों की स्थिति को गहराई से विश्लेषित किया जाएगा। इसके बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार मीडिया से सवालों का जवाब देंगे और सर्वेक्षण के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करेंगे।
आर्थिक सर्वेक्षण के दो भाग
आर्थिक सर्वेक्षण को 2015 के बाद से दो भागों में पेश किया जाता है। पहला भाग बजट से पहले पेश किया जाता है और इसमें देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति, प्रमुख आर्थिक रुझानों और सरकारी वित्तीय स्थिति का विश्लेषण होता है। दूसरा भाग, जो जुलाई या अगस्त में पेश होता है, अधिक विस्तृत आर्थिक आंकड़ों और सेक्टर-वार विश्लेषण पर आधारित होता है।
सरकार ने की सर्वदलीय बैठक में सहयोग की अपील
संसद के बजट सत्र से एक दिन पहले, गुरुवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया था। इस बैठक में 36 राजनीतिक दलों के 52 नेताओं ने हिस्सा लिया। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बैठक के बाद कहा कि राष्ट्रपति दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी, जिसके बाद आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बजट सत्र के पहले भाग के बाद 5 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के कारण संसद की कार्यवाही नहीं चलेगी और सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक चलेगा। इसके बाद 10 मार्च से सत्र का दूसरा भाग शुरू होगा। सरकार के पास इस सत्र के लिए 16 विधेयक और 19 अन्य संसदीय कार्य हैं।
कांग्रेस ने जताई चिंता
विपक्षी दलों की ओर से संसद के कार्यों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि विपक्ष को लगता है कि संसद को एकतरफा तरीके से चलाया जा रहा है और उनकी तरफ से उठाए गए मुद्दों को सही तरीके से नहीं सुना जा रहा है। गोगोई ने उदाहरण देते हुए कहा कि जेपीसी में विपक्षी दलों के संशोधनों को खारिज कर दिया गया, जबकि सत्ता पक्ष के संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया। इसके साथ ही महाकुंभ के दौरान हुए हादसों पर भी विपक्ष ने अपनी चिंता और दुख व्यक्त किया।
आर्थिक सर्वेक्षण और बजट का महत्व
आर्थिक सर्वेक्षण और बजट भारत के आर्थिक भविष्य का मार्गदर्शन करने वाले महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। इन दस्तावेजों के माध्यम से सरकार न केवल मौजूदा आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करती है, बल्कि आने वाले वर्ष के लिए अपने वित्तीय लक्ष्यों, योजनाओं और सुधारों की रूपरेखा भी प्रस्तुत करती है। सर्वेक्षण में सरकार के पिछले वर्ष के प्रदर्शन का विश्लेषण किया जाता है और भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे, यह भी दर्शाया जाता है।
इस बार के बजट और आर्थिक सर्वेक्षण पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यह आगामी चुनावों के पूर्व सरकार की आर्थिक नीतियों की दिशा को स्पष्ट करेगा और देश के विकास के लिए नई रणनीतियों का खाका पेश करेगा।